Ganesh Chaturthi 2020: बड़ा गणपति मंदिर में दिखेगा कोरोना का असर

punjabkesari.in Friday, Aug 21, 2020 - 05:27 PM (IST)

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लगभग हर जगह कोरोना महामारी के बाद से ही सरकार द्वारा लॉकडाऊन लगाया गया था। जिसको बाद में धीरे-धीरे अनलॉक में परिवर्तित किया गया। परंतु अभी भी देश के बहुत से धार्मिक व प्राचीन स्थल बंद है। जिसके चलते कल यानि 22 अगस्त भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि, गणेशोत्सव वाले दिन अपने बप्पा के दर्शन नहीं कर पाएंगे।  जी हां, बताया जा रहा है कोरोना के कारण श्रद्धालुओं को इस बार गणेश चतुर्थी पर गणपति बप्पा के दर्शन और पूजा करना नसीब नहीं होगा। इस पर पूरी तरह से जी के दर्शन  प्रतिबंध लगाया है। यानि जिसका अर्थात हुआ कि इस बार इंदौर के तमाम गणेश मंदिरों में नही पहुंच पाएंगे।
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बात करें तो इंदौर में भगवान गणेश का अति प्राचीन मंदिर स्थित है, जिसे बड़ा गणपति मंदिर के नाम से जाना जाता है। तमाम मंदिरों की तरह इस पर भी कोरोना वायरस का पूरा असर देखने को मिल रहा है। मंदिर के पुजारी द्वारा बताया गया है कि, प्रत्येक वर्ष गणेश उत्सव के समय यहां हजाऱों की संख्या बप्पा के भक्त उमड़ते हैं। परंतु कोरोना वायरस के चलते ऐसा नहीं होगा। यहां श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को नहीं मिलेगी।

बता दें अति प्रचीन मंदिर बड़ा गणपति मंदिर का इतिहास एक स्वप्न से जुड़ा है। मंदिर की आधारशिला के पीछे गणेश जी के अनन्य भक्त स्व. पं. नारायण दाधीच के द्वारा देखा गया। जिसके अनुसार भगवान गणेश ने नारायण नामक एक व्यक्ति को ऐसी ही मूर्ति के रूप में दर्शन दिए थे। 
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इस भव्य मंदिर का निर्माण कार्य वर्ष 1901 में पं. नारायण दाधीच द्वारा पूरा किया गया था। इस परिसर में भगवान गणेश जी 25 फीट ऊंची प्रतिमा के रूप में दर्शन देते हैं। प्रतिमा के निर्माण में चूना, गुढ, रेत, मैथीदाना, मिट्टी, सोना, चांदी, लोहा, अष्टधातु, नवरत्न का उपयोग किया गया है। बताया जाता है प्रतिमा के निर्माण में सभी तीर्थ नदियों के जल का उपयोग किया गया था। मूर्ति 4 फीट ऊंचे चबूतरे पर विराजित है। लोक मत है इस अद्भुत मूर्ति के निर्माण में करीब 3 साल लगे थे।

मंदिर के पुजारी पंडित धनेश्वर दाधिच ने बताया कि भगवान गणेश जी के श्रृंगार में करीब 8 दिन का समय लगता है। वर्ष में चार बार इन्हें चोला चढ़ाया जाता है। जिसमें भाद्रपद सुदी चतुर्थी, कार्तिक बदी चतुर्थी, माघ बदी चतुर्थी और बैशाख सुदी चतुर्थी पर चोला और सुंदर वस्त्रों से श्रृंगार किया जाता है। चोले में सवा मन घी और सिंदूर का उपयोग किया जाता है।
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पंजाब केसरी के रिपोर्टर गौरव कंछल की रिपोर्ट के अनुसार मंदिर के रख रखाव की जिम्मेदारी नारायण दाधीच की तीसरी पीढ़ी के पं धनेश्वर दाधीच देख रहे हैं। पूरे शहर के लोग इस अलौकिक प्रतिमा के दर्शन करने यूं तो सालभर ही जाते हैं। 


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Jyoti

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