गांधी जंयती पर संगीत, नृत्य और संवाद से बापू के संघर्षों को किया जीवंत

punjabkesari.in Monday, Oct 03, 2022 - 11:16 AM (IST)

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नई दिल्ली:
गांधी जयंती के अवसर पर राजधानी के जवाहर भवन में आयोजित गांधी लीला में गीत, संगीत और संवाद के जरिए बापू के भारत की आजादी में दिए योगदान को याद किया गया। पूर्व केंद्रीय मंत्री मणिशंकर अय्यर ने कार्यक्रम के अंत में सभी का आभार जताया वहीं उनकी सुपुत्री सुरण्या अय्यर ने लेखन, निर्देशन संभाला और जमकर तालियां भी बटोरी। कार्यक्रम में कई नौकरशाह व विदेशी मेहमान भी नजर आए और उन्होने प्रस्तुति को जमकर सराहा..।

सूत्रधार राजेश कुमार और सुरण्या अय्यर ने गांधी के जीवन के तथ्यों को प्रस्तुत करते हुए बताया कैसे जलियांवाला बाग हत्याकांड की सुनवाई कर रहे कमीशन में गांधी जी के सत्याग्रह को लेकर सवाल-जवाब किए गए। जांच आयोग का मचंन ऐसा प्रतीत हुआ मानो सीधा प्रसारण किया जा रहा हो। अंग्रेज जांच आयोग ने पूछा, गांधी जी आप इस तरह (सत्याग्रह, जलियांवाला बाग, स्वतंत्रता संग्राम) के आंदोलन से कैसे निपटते, गांधी जी कहते हैं कि मैं सुनता और सत्याग्रहियों से वार्ता कर उनके खिलाफ  कोई हिंसा का समर्थन कतई न करता। सत्याग्रह को उन्होंने हिंसा को बढ़ावा देने वाले बताने वालों के हर तर्क को खारिज किया। दिनकर की कविता, महास्वेतादेवी वर्मा का संस्मरण मंच की प्रस्तुति को जहां सशक्त बना रहा था वहीं संगीत का पक्ष भी बांधे हुआ था।

वैष्णव जन को तेने कहिए, पीर पराई जाने ना....के जरिए नृत्यांगना ने भारतनाट्यम से बापू को याद ही नहीं किया, उनके न रहने तक की कथा का मंचन किया। भारत नाट्यम के बाद कथकली से बताया कैसे बापू के जाने का दुख इस देश के प्रत्येक नागरिग ने महसूस किया। महाश्वेतादेवी वर्मा का संस्मरण जब सुनाया जा रहा था तभी कैनवास पर बापू के चित्र को उकेर दिया। संस्मरण में मजबूत हाथ, तेज चाल का जिक्र आया तो चित्रकार ने वैसे ही पूरा चित्र उतार दिया और उसके बाद जमकर तालियां बटोरी।

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नाद सूत्र के छोटे-छोटे बच्चों ने नृत्य से समां बांधा, वहीं भरत तिवारी की संगीतमयी कविता, बापू गांधी ने दिलवाई...,हमको आजादी भाई, आइंस्टीन ने बोला था लोगों को विश्वास न होगा...गीत के जरिए कठपुतली में तीनों बन्दर भी दिखाए। जो संदेश दे रहे थे, बुरा मत बोलो, बुरा मत देखो, बुरा मत देखो...। माइम के जरिये बताया कैसे बापू ने चरखे को हथियार बनाया और आजादी दिलवाई।

अंग्रेजों के जुल्मों सितम के आगे कैसे अहिंसक आंदोलन को धार दी गई और कैसे सच की जीत हुई। दिनकर युवास्था में हिंसा के पक्ष में खड़े थे। बाजी मोहन की प्यारी बीन, रंग भारत में बताया कैसे साबरमती आश्रम में हिन्दू, मुस्लिम, ईसाई समुदाय के लोग एक होकर भारतीय संगीत के जरिए एकजुटता का संदेश देते हुए, सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा... से मंचन संपन्न हुआ। कार्यक्रम में संगीत आरिफ अली खान, कोरियाग्राफर आकाश मलिक, स्वर्णाली कुंडू ने संभाला। अंत में मणिशंकर अय्यर ने जहां सभी का आभार जताया वहीं बताया कैसे गांधी आज भी हर भारतवासी के जीवन में शामिल हैं।


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Content Writer

Jyoti

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