किस दिशा की दुकान देती है नुकसान, वास्तु से जानिए
punjabkesari.in Wednesday, Dec 15, 2021 - 01:42 PM (IST)
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
वास्तु शास्त्र में जिस तरह घर के वास्तु पर खास ध्यान दिया गया है, ठीक उसी तरह इसमें दुकान के वास्तु पर भी खासा महत्व बताया गया है। कहते हैं जिस तरह घर का वास्तु बिगड़ने पर परिवार में परेशानियां आने लगती हैं। ठीक उसी तरह जब दुकान का वास्तु खराब तो उसकी तरक्की में रुकावटें आने लगती हैं और धन-धान्य में कमी आती है। इसलिए वास्तु विशेषज्ञ बताते हैं कि दुकानदार को इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि दुकान का वास्तु ठीक हो, वरना दुकान के मालिक को लाभ की जगह हानि होने लगती है। तो आइए जानते हैं कि वास्तु के अनुसार दुकान के लिए कौन सी दशा व दिशा सबसे सही व सटीक होती है, और किस दिशा में दुकान का होना नुकसानदायक साबित होता है। साथ ही साथ जानेंगे कि अगर कोई व्यक्ति गलत दिशा में दुकान ले भी लेता है तो वो उसमें सुधार कैसे ला सकता है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार अगर किसी व्यक्ति पूर्व मुखी दुकान हो तो इसे शुभ माना जाता है। पर दुकानदार को इससे जुड़ी कुछ खास बातों का ध्यान रखना पड़ता है। जैसे कि दुकान को समय से खोलें। ध्यान रखें कि कोई भी ग्राहक दुकान बंद होने के कारण दुकान से लौटे नहीं, तो वहीं अगर संभव हो तो उत्पाद ऐसे रखें जो जल्दी बीकते रहें। वास्तु के अनुसार ऐसे उत्पाद अधिक लाभ देते हैं।
जिनकी दुकान पूर्व और उत्तर के मध्य हो यानि दुकान का मुख्य द्वार खुलता हो तो उन्हें साफ-सफाई का खासतौर पर ध्यान देना चाहिए। इसके अलावा इस बात पर गौर करें कि इस दिशा व स्थान में किसी भी प्रकार का भारी सामान न रखा हो तो। वरना दुकान में विभिन्न प्रकार के वास्तु दोष पैदा हो जाते हैं।
वास्तु शास्त्र में उत्तर मुखी दुकान को व्यापार के दृष्टिकोण से सबसे सर्वेत्तम माना जाता है। कहा जाता है इस दिशा में दुकाने वाले लोगों के कारोबार पर देवी लक्ष्मी की अधिक कृपा रहता है। इनके लिए अपने ग्राहको को प्रसन्न रखना अधित आवश्यक होता है।
माना जाता है कि जो लोग उत्तर और पश्चिम दिशा के मध्य यानि वायव्य कोण में अपनी दुकान स्थापित करते हैं, उनकी कीर्ति पूरी मार्केट में फैली हुई होती है। इन्हें अपने कारोबार को बेहतर करने के लिए दुकान की ब्रांडिंग पर खास ध्यान देना चाहिए।
पश्चिम दिशा की दुकान को मुख्य रूप से पैतृक काम के लिए अच्छा माना जाता है। तो यदि दुकान पुरानो हो तो पीढ़ी दर पीढ़ी इसे संभाला जा रहा हो। तो ऐसी दुकान को प्रगति का सूचक माना जाता है। परंतु इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि पुश्तैनी दुकानों में समय के साथ प्रोडक्ट्स को बदलते रहें।
जिन लोगों की दुकान का नैऋत्य यानी पश्चिम और दक्षिण के मध्य का द्वार हो तो ऐसे में शस्त्र-औजार एवं उपयोगी वस्तुओं रखनी अधिक सफल होती हैं। इसके अलावा इस बात का ख्याल रखें कि द्वार पर थोड़ा वजन बढ़ाकर रखें। तथा यहां के मेन दरवाजे पर डोर क्लोजर होना बहुत जरूरी है और ध्यान रहें दुकान का दरवाजा सदैव खुला न रहे।
आखिर में दक्षिण दिशा की दीवार के बारे में बताया गया है, कि इस दिशा को लेकर परेशान होने की कोई आवश्यकता नहीं होती। वास्तु शास्त्र के अनुसार दक्षिण यम की दिशा होती है। इस दिशा में होने वाली दुकान लाभदायक साबित होती है।
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