भोजन के अनुसार बनता है स्वभाव, जानें कैसे

punjabkesari.in Tuesday, Jun 13, 2017 - 09:59 AM (IST)

मानव शरीर 3 गुणों से बना है- सत्व, रजस और तमस। आपके विचार और व्यवहार का ढंग उन्हीं के अनुसार परिवर्तित होते हैं। तमस से जड़ता, निद्रा और आलस्य पैदा होता है और रजस गुण से बेचैनी, इच्छा और वेदना उत्पन्न होती है। यदि मन पर सत्व प्रबल है तो वह आनंदपूर्ण, सजग और उत्साहपूर्ण होता है। शरीर में इन 3 गुणों के प्रभाव के अनुसार विभिन्न आचरण अधिक प्रबल हो जाते हैं। 


इस संदर्भ में एक कथा है कि एक संन्यासी थे जो बिना किसी रोक-टोक के सब जगह जाते थे। लोग उनका प्रेम से स्वागत करते थे। हर दिन वह संन्यासी राजा के महल में दोपहर का भोजन खाने के लिए जाते थे। रानी उन्हें सोने की थाली और कटोरी में भोजन परोसती थी। वह भोजन करते थे और वापस चले जाते थे। एक दिन भोजन के उपरान्त उन्होंने चांदी का गिलास और सोने का चम्मच अपने पास रख लिया और निकल गए। उन्होंने किसी को बताया तक नहीं कि उन्हें उनकी आवश्यकता थी। महल में लोग अचंभित थे। वे सब सोच रहे थे, ‘‘संत को क्या हो गया है, उन्होंने कभी कोई भी चीज इस तरह से नहीं उठाई तो फिर आज क्या हुआ। उन्होंने किसी को बताया भी नहीं।’’ 


3 दिन के उपरान्त उन्होंने वे चीजें वापस ला दीं। यह और भी आश्चर्यजनक था।


राजन ने कुछ बुद्धिमान लोगों को बुलवाया और संत के इस व्यवहार की समीक्षा करने को कहा। पंडितों और विद्वानों ने यह जांच की कि उस दिन संत को भोजन में क्या परोसा गया था। उनको यह पता चला कि कुछ चोरों और डकैतों के यहां से कुछ खाने का सामान जब्त किया गया था, जिसको पका कर संत को परोसा गया। इसी के कारण उन्होंने चोरी की।


तात्पर्य यह कि हम जैसा भोजन करते हैं, वैसा ही हमारा मन, हमारे विचार बन जाते हैं। शुद्ध एवं सात्विक भोजन द्वारा ही हम इस चक्र से निकल सकते हैं।


 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News