Navratri 2021: यहां जानिए माता के 5 प्रसिद्ध मंदिर, जहां दर्शन मात्र से पूरी होती हैं मनोकामनाएं

punjabkesari.in Friday, Sep 24, 2021 - 01:42 PM (IST)

 शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
7 अक्टूबर से इस वर्ष के शारदीय नवरात्रि का आरंभ हो रहा है, जिसका समापन 15 अक्टूबर को होगा। धार्मिक शास्त्रों में नवरात्रों का खास महत्व है। इस दौरान देवी भगवती के नौ रूपों की पूजा का विधान है। मान्यता है जो व्यक्ति इन नौ दिनों में देवी दुर्गा की सच्चे मन व श्रद्धापूर्वक आराधना करता है, उसके जीवन की बाधाएं तो दूर होती हैं, साथ ही साथ जीवन व घर में सुख-समृद्धि भी बढ़ती है। तो वहीं इस दौरान देवी दुर्गा के विभिन्न मंदिरों में जाकर उनके दर्शन करने का भी अधिक विधान है। माना जाता है मुख्य रूप से नवरात्रों में ऐसा करने से मां दुर्गा अधिक प्रसन्न होती हैं। तो इसी पर्व को ध्यान में रखते हुए आज हम आपतो बताने जा रहे हैं माता के 5 ऐसे मंदिरों के बारे में जिनके दर्शन मात्र से सभी कष्ट दूर होते हैं। तो आइए जानते हैं माता के इन अद्भुत धार्मिक स्थलों के बारे में जो 51 शक्तिपीठों की गिनती में शामिल हैं। 

नैना देवी मंदिर, बिलासपुर: 
हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में नैना देवी नामक मंदिर स्थित है, जहां देवी नैना की प्राचीन मूर्ति स्थापित है। इस मंदिर से जुड़ी एक मान्यता है कि यहां देवी सती की आंखें गिरी थी, जिस कारण इस मंदिर को नैैना देवी के नाम से जाना जाता है तथा ये 51 शक्तिपीठों में शामिल भी है। 
 
कामाख्या मंदिर, गुवाहाटी: 
गुवाहाटी, असम में शहर की नीलांचल पहाड़ियों पर कामाख्या मंदिर स्थित है। इसे भी 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। जहां देवी कामाख्या की मूर्ति स्थापित है, मुख्य रूप से ये सिद्ध शक्तिपीठ है तांत्रिक क्रियाओं के लिए जाना जाता है।  

दक्षिणेश्वर काली मंदिर, कोलकाता: 
पश्चिम बंगाल के कोलकाता के दक्षिणेश्वर में हुगली नदी के किनारे दक्षिणेश्वर काली मंदिर स्थित है, जहां मां भवतारिणी की मूर्ति स्थापित है।  मान्यताओं के अनुसार इन्हें मां काली का रूप माना जाता है। 

माता ज्वाला देवी मंदिर, कांगड़ा: 
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में माता ज्वाला देवी का मंदिर स्थित है, जिसमें हमेशा आग की लपटें निकलती रहती हैं। जिस कारण इस मंदिर को माता ज्वाला के नाम से जाना जाता है। 

करणी माता मंदिर: 
राजस्थान के देशनोक में करणी माता का मंदिर स्थित है, जिसे चूहों का मंदिर भी कहा जाता है। इसका कारण कि  इस मंदिर में एक समय में हजारों चूहे एकत्रित होते हैं। बता दें करणी माता को देवी दुर्गा का ही रूप माना जाता है।   


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Jyoti

Recommended News

Related News