इस मुस्लिम देश के लोगों का धर्म है इस्लाम और संस्कृति में रामायण

punjabkesari.in Thursday, Sep 02, 2021 - 02:24 PM (IST)

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Famous Hindu Temples Outside India: दक्षिण पूर्व एशिया के देश वियतनाम में खुदाई के दौरान बलुआ पत्थर का एक शिवलिंग मिलना न केवल पुरातात्विक शोध की दृष्टि से एक अद्भुत घटना है, अपितु भारत के सनातन धर्म की सनातनता और उसकी व्यापकता का एक महत्वपूर्ण प्रमाण भी है।

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यह शिवलिंग 9वीं शताब्दी का बताया जा रहा है। जिस परिसर में यह शिवलिंग मिला है, पहले भी यहां भगवान राम और सीता की अनेक मूर्तियां और शिवलिंग मिल चुके हैं। आधुनिक इतिहासकार भारत की सनातन संस्कृति को लेकर जो भी दावे करें, इसकी सनातनता और लगभग सम्पूर्ण विश्व में इसके फैले होने के प्रमाण अनेक अवसरों पर ऐसे ही सामने आते रहते हैं । आज हम ऐसे ही प्रमाणों की बात करेंगे, जो हमें जितना आश्चर्यचकित करते हैं उतने ही गौरवान्वित भी करते हैं।

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दरअसल सनातन धर्म समूचे विश्व में फैला हुआ था। इस पर अनेक खोजपूर्ण अध्ययन भी हुए हैं और इसके अनेक प्रमाण भी मिलते हैं। यह सर्वविदित है कि इंडोनेशिया विश्व का ऐसा देश है जहां आज विश्व की सर्वाधिक मुस्लिम आबादी है लेकिन इस मुस्लिम बहुल देश के लोगों का कहना है कि उनका धर्म इस्लाम है और संस्कृति में रामायण है।

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जी हां, रामकथा इंडोनेशिया की सांस्कृतिक विरासत का अभिन्न हिस्सा है। इतना ही नहीं, यहां के एक द्वीप बाली में खुदाई के दौरान प्राचीन मंदिरों के कुछ अंश भी मिले। इंडोनेशिया का यह स्थान कभी हिन्दू धर्म का केंद्र था और आज यही मंदिर बाली द्वीप की पहचान है। इंडोनेशिया के इस द्वीप पर हिंदुओं के कई प्राचीन मंदिरों के साथ एक गुफा मंदिर भी स्थित है, जिसमें तीन शिवलिंग बने हैं और यह भगवान शिव को समर्पित है। इसे 19 अक्तूबर 1995 को विश्व धरोहरों में शामिल कर लिया गया था।

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इसी प्रकार कंबोडिया में स्थित विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक स्मारक अंगकोरवाट एक हिंदू मंदिर है। यह भगवान विष्णु का मंदिर है जो आज भी संसार का सबसे बड़ा मंदिर है और सैंकड़ों वर्ग मील में फैला है। यह मंदिर आज कंबोडिया के सम्मान का प्रतीक है और इसे 1983 से कंबोडिया के राष्ट्रध्वज में स्थान दिया गया। विश्व का सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थल होने के साथ-साथ यह मंदिर यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थलों में से भी एक है।

दक्षिण अफ्रीका में भी पुरातत्वविदों को लगभग 6,000 वर्ष पुराना शिवलिंग मिला है। दक्षिण अफ्रीका की सुद्वारा नामक गुफा में मिले इस शिवलिंग को खोजने वाले पुरातत्वेत्ता भी हैरान हैं कि इतने वर्षों से यह शिवलिंग अभी तक सुरक्षित कैसे है लेकिन यहां गुफा में स्थापित हजारों वर्ष पुराना शिवलिंग इतना तो प्रमाणित करता ही है कि हिंदू धर्म अफ्रीका तक प्रचलित था।

लेकिन इन देशों से इतर वह देश, जो आज अपनी हरकतों के चलते लगभग विश्व के हर देश की आंख की किरकिरी बना हुआ है, कभी वहां भी हिन्दू मंदिर और संस्कृति हुआ करती थी! जी हां, चीन के एक शहर में हजार वर्ष पुराने हिन्दू मंदिरों के खंडहर आज भी मौजूद हैं। यहां से निकली नरसिंह अवतार की मूर्तियां और मंदिर के स्तंभों पर अंकित शिवलिंग च्वानजो के समुद्री म्यूजियम में रखे हुए हैं।

आप कह सकते हैं कि ये बीते समय के प्रमाण हैं तो आपको वर्तमान समय के कुछ प्रमाण भी रोचक लग सकते हैं। क्या जापान की वर्तमान संस्कृति और सनातन संस्कृति में कोई संबंध है? दरअसल जापान में सैंकड़ों धार्मिक स्थल हैं, जहां स्थित मूर्तियां भारतीय देवी-देवताओं की प्रतीक हैं।

जैसे वहां कांजीतेन भगवान की पूजा की जाती है, जिनकी मूर्ति गणेश जी के समान है, उन्हें बिनायकतेन (विनायक) कहा जाता है और ऐसी मान्यता है कि ये विघ्न हर कर समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।

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इसी प्रकार वहां बॉनतेन भगवान (ब्रह्मा) की पूजा होती है जिनकी मूर्ति के चार सिर और चार हाथ होते हैं और ऐसा माना जाता है कि ये ब्रह्मलोक में निवास करते हैं।

जापानी ताईशाकूतेन (इंद्रदेव) की पूजा करते हैं जो हाथी की सवारी करते हैं और मान्यता है कि वे स्वर्गलोक के राजा हैं।

इसी प्रकार जापान में किचिजोतेन देवी (लक्ष्मी) की पूजा की जाती है जो कमल के फूल पर विराजमान हैं तथा इन्हें भाग्य और ऐश्वर्य की देवी माना जाता है।

अगर आध्यात्मिक ज्ञान और भारतीय दर्शन की बात करें तो भारतीय वांग्मय में मानव शरीर की आत्मिक ऊर्जा का केंद्र चक्रों को माना गया है और सात प्रमुख चक्र उल्लेखित हैं। जापान की रेकी विद्या और इन चक्रों में भी काफी समानता पाई गई है।

इस तरह के प्रमाणों से पता चलता है कि रोम से इंडोनेशिया और अफ्रीका तक के देशों के इतिहास में कभी सनातन हिंदू धर्म वहां की संस्कृति का हिस्सा था और आज जब उसके निशान वियतनाम में हाल ही में मिले शिवलिंग के रूप में सम्पूर्ण विश्व के सामने आते हैं तो गर्व होता है स्वयं के भारत की सनातन संस्कृति का हिस्सा होने पर।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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