पितृ पक्ष के दौरान ज़रूर कर लें ये काम, झट से प्रसन्न हो जाएंगे आपके पूर्वज

punjabkesari.in Sunday, Sep 08, 2019 - 03:11 PM (IST)

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पितृ पक्ष में पितृ तर्पण, पिंडदान आदि कार्य करना अधक अनिवार्य होता है। हिंदू धर्म में जितना बाकि  धार्मिक अनुष्ठानों को करना महत्वपूर्ण व लाभदायक माना जाता है। उतना ही नहीं, पितृ पक्ष के दौरान पिंडदान करना भी लाभकारी होता है। बल्कि कहा जाता है पितरों को भी देवताओं के समान माना जाता है। इसलिए इस दौरान लोग बहुत से उपाय व अनुष्ठान आदि करते हैं जिससे उन पर अपने पूर्वजों का आशीर्वाद हमेशा बना रहे।
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इसके अलावा ज्योतिष के अनुसार कहा जाता है नाराजड पूर्वजों को मनाने के लिए भी पितृ पक्ष का सबसे असरदारी माना जाता है। क्योंकि अगर ये नाराज़ हो जाएं तो जीवन में ऐसी ऐसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है जिसके बारे में इंसान सपने में भी सोच नहीं सकता। तो अगर आप भी अपने नाराज़ पूर्वजों को मनाना चाहते हैं औन इनकी कृपा पाना चाहते हैं तो आगे दिए मंत्रों का और इस स्तुति का जाप ज़रूर करें।

जिन जातकों की कुंडली में पितृदोष होते हैं, उन्हें पितृपक्ष में पितृ शांति की पूजा करवानी चाहिए। और साथ ही पितृपक्ष श्राद्धपक्ष में भगवान दत्तात्रेय के मंत्र जप करना चाहिए। इससे मनुष्य को पितृदोष से राहत मिलती है। भगवान दत्तात्रेय का स्मरण मनुष्य को पितृदोषों से दूर तो रखता है साथ ही उनके जीवन में आने वाली समस्याएं भी दूर करता है।

अगर संभव हो तो पितृपक्ष में रोज़ाना इन मंत्रों का जप करें या फिर अमावस्या या पूर्णिमा के दिन इनका जप ज़रूर करें।

1. 'श्री दिगंबरा दिगंबरा श्रीपाद वल्लभ दिगंबरा'।

2. 'श्री गुरुदेव दत्त'।

3. 'ॐ द्रां दत्तात्रेयाय स्वाहा।'

इसके अलावा दत्तात्रेय स्त्रोत पाठ करें-
अस्य श्रीदत्तात्रेयस्तोत्रमन्त्रस्य भगवान् नारदऋषिः।
अनुष्टुप् छन्दः।श्रीदत्तपरमात्मा देवता।
श्रीदत्तप्रीत्यर्थे जपे विनियोगः ॥

जगदुत्पत्तिकर्त्रे च स्थितिसंहार हेतवे ।
भवपाशविमुक्ताय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥

जराजन्मविनाशाय देहशुद्धिकराय च ।
दिगम्बरदयामूर्ते दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥

कर्पूरकान्तिदेहाय ब्रह्ममूर्तिधराय च ।
वेदशास्त्रपरिज्ञाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥

र्हस्वदीर्घकृशस्थूल-नामगोत्र-विवर्जित ।
पञ्चभूतैकदीप्ताय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥

यज्ञभोक्ते च यज्ञाय यज्ञरूपधराय च ।
यज्ञप्रियाय सिद्धाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥

आदौ ब्रह्मा मध्य विष्णुरन्ते देवः सदाशिवः ।
मूर्तित्रयस्वरूपाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥
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भोगालयाय भोगाय योगयोग्याय धारिणे ।
जितेन्द्रियजितज्ञाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥

दिगम्बराय दिव्याय दिव्यरूपध्राय च ।
सदोदितपरब्रह्म दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥

जम्बुद्वीपमहाक्षेत्रमातापुरनिवासिने ।
जयमानसतां देव दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥

भिक्षाटनं गृहे ग्रामे पात्रं हेममयं करे ।
नानास्वादमयी भिक्षा दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥

ब्रह्मज्ञानमयी मुद्रा वस्त्रे चाकाशभूतले ।
प्रज्ञानघनबोधाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥

अवधूतसदानन्दपरब्रह्मस्वरूपिणे ।
विदेहदेहरूपाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥

सत्यंरूपसदाचारसत्यधर्मपरायण ।
सत्याश्रयपरोक्षाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥
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शूलहस्तगदापाणे वनमालासुकन्धर ।
यज्ञसूत्रधरब्रह्मन् दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥

क्षराक्षरस्वरूपाय परात्परतराय च ।
दत्तमुक्तिपरस्तोत्र दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥

दत्त विद्याढ्यलक्ष्मीश दत्त स्वात्मस्वरूपिणे
गुणनिर्गुणरूपाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥

शत्रुनाशकरं स्तोत्रं ज्ञानविज्ञानदायकम् ।
सर्वपापं शमं याति दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥

इदं स्तोत्रं महद्दिव्यं दत्तप्रत्यक्षकारकम् ।
दत्तात्रेयप्रसादाच्च नारदेन प्रकीर्तितम् ॥

इति श्रीनारदपुराणे नारदविरचितं दत्तात्रेयस्तोत्रं सुसम्पूर्णम्


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Jyoti

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