Chaturmas 2021: चातुर्मास में न करें ये कार्य, नहीं तो देवता हो जाएंगे नाराज

punjabkesari.in Saturday, Jul 10, 2021 - 05:48 PM (IST)

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सनातन धर्म को ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रत्येक वर्ष में 4 महीने ऐसे माने जाते हैं जिन्हें खास माना जाता है। इन चार महीनों को चातुर्मास के नाम से जाना जाता है, जिसका प्रारंभ मास की देवशयनी एकादशी के दिन से होकर देवउठनी एकादशी तक समाप्त होते हैं। धार्मिक मान्यताएं हैं कि इस चातुर्मास में भगवान विष्णु के साथ-साथ सभी देवी देवता पाताल लोक में साइन करते हैं। इसी के चलते विवाह आदि जैसे कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किए जाते। इस समय को शुभ नहीं माना जाता परंतु क्या आप जानते हैं कि इसके अलावा भी चातुर्मास में कौन से कार्य नहीं करने चाहिए?

अगर नहीं तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि चतुर्मास में कौन से कार्य को वर्जित माना गया है और किन कार्यों को करने से देवी देवता नाराज़ होते हैं।

चातुर्मास में विवाह, मुंडन, जनेऊ आदि जैसे मांगलिक कार्य नहीं किए जाने चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि यह समय इन कामों को करने के लिए शुभ नहीं होता ऐसे समय में किया गया काम अशुभ फल प्रदान करता है।

चातुर्मास के दौरान प्रत्येक व्यक्ति को सात्विक भोजन ही ग्रहण करना चाहिए। खासतौर पर इस दौरान मांस, मदिरा का सेवन न करें। कहा जाता है कि गैर सात्विक भोजन करने से प्राप्त नहीं होती।

कहा जाता है चातुर्मास के महीनों में अर्थात श्रावण मास में सागर पत्तेदार सब्जी, भादो में बैंगन व दही, अगन में दूध तथा कार्तिक में लहसुन और उड़द की दाल खाना शुभ नहीं माना जाता।

इसके अलावा चतुर्मास की वर्षा ऋतु में मसालेदार और तैलीय भोजन ग्रहण करना भी सेहत के लिए नुकसानदायक माना गया है।

हर व्यक्ति को कोशिश करनी चाहिए कि चातुर्मास के इन 4 महीनों में प्रातः जल्दी उठे। नियमित रूप से व्रत और संयम का पालन करें शास्त्रों में खासतौर पर इन 4 महीनों में देर तक सोना अच्छा नहीं माना गया।

कहा जाता है कि वर्षा ऋतु होने के कारण इस दौरान सूर्य देवता और चंद्रमा की शक्ति कमजोर होती है। जिसके परिणाम स्वरुप मानव जाति में भी शक्ति का ह्रास होता है इसलिए शरीर की ऊर्जा को बनाए रखने के लिए इन 4 महीनों में नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए।

चतुर्मास तमाम तरह के मांगलिक कार्यों के लिए तो वर्जित होता है लेकिन यह का धार्मिक कार्य पूजा-पाठ के लिए व्रत आदि करने के लिए सबसे उत्तम माना जाता है। कहा जाता है इसका आदमी किसी भी प्रकार का धार्मिक अनुष्ठान किया जा सकता है और जो करता है उसे दोगुना फल प्राप्त होता है।


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Content Writer

Jyoti

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