निराशा ही खुद के प्रति अविश्वास को करती है अस्थिर व अशांत

punjabkesari.in Saturday, Jan 13, 2018 - 11:02 AM (IST)

कुछ लोग अक्सर अपनी सत्ता को बचाने की लड़ाई में समाज पर डर थोपते हैं और लोगों में असुरक्षा की भावना बनाए रखना श्रेयस्कर समझते हैं। मगर डरे हुए लोग यह समझने की कोशिश नहीं करते कि ऐसे माहौल को सृजित करने का काम हममें से ही कुछ लोग करते हैं। इसे बदला जा सकता है, बशर्ते हम अपनी ताकत की पहचान कर लें। इससे न केवल वर्तमान को संवारा जा सकता है, बल्कि भविष्य की आशंका को भी निर्मूल किया जा सकता है।

 

रॉबर्ट एच. शुलर ने बड़ी अच्छी बात कही है कि ‘‘सपनों में विश्वास कीजिए, आघातों में नहीं। निराशा के अनुभव को अपने भविष्य को आकार देने की अनुमति न दें।’’ वस्तुत: निराशा खुद के प्रति अविश्वास है, जो अस्थिर और अशांत करती है। सकारात्मक नहीं बनने देती है। हर किसी को मालूम है कि सकारात्मक विचार में अच्छाई की असंख्य संभावनाएं छिपी रहती हैं, सिर्फ उसे जगाने और विकसित करने की आवश्यकता है।


देश के अलग-अलग हिस्सों के कुछ नौजवानों ने अपनी अच्छी-खासी नौकरियां छोड़कर एक ऐसा एप शुरू किया, जो रक्त की कमी झेल रहे लोगों की मदद कर सके। इन लड़के-लड़कियों ने अपने एक मित्र के पिता को दुर्लभ ग्रुप के ब्लड की कमी के कारण चेन्नई के एक अस्पताल में जीवन और मौत के बीच झूलते देखा तो तड़प उठे। सबके जहन में यह बात कौंधने लगी कि महानगर में यह हालत है तो गांवों में क्या हो रहा होगा। सबने मिलकर उसी दिन यह फैसला कर लिया कि रक्त-संकट को दूर करने का कोई आधुनिक तरीका निकालेंगे।

 

इन सबने न तो माहौल को कोसा और न सरकार के लिए गालियां निकालीं, बल्कि अपने स्तर से इंसानियत के लिए एक-दूसरे का हाथ थामा और चल पड़े अपने रास्ते पर। आज इन लड़के-लड़कियों ने वह कामयाबी हासिल की है जो दूसरों के लिए भी प्रेरणा बनी हुई है। मुसीबत में पड़े इंसान की मदद कर हम भी अद्भुत साबित हो सकते हैं। बस, आपके मन में जिद और संवेदना होनी चाहिए। इसके लिए समय का इंतजार नहीं करना होता है। कहा भी जाता है कि अवसर दस्तक नहीं देता, जब आप प्रयास करतेे हैं, वह खुद को प्रस्तुत कर देता है। अपना नजरिया बदलें। देखेंगे कि आपके आसपास का माहौल वह नहीं है, जो आपके मन में है।


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