क्यों की जाती है शमी वृक्ष की पूजा, क्या कहती हैं धार्मिक कथाएं

punjabkesari.in Thursday, Jul 01, 2021 - 01:38 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
सनातन धर्म में कई वृक्षों को पावन पूजनीय माना गया है। कहा जाता है कि इन वृक्षों पौधों आदि में देवी देवताओं का वास होता है तो कईयों के साथ इनका संबंध जुड़ा है, जिस कारण इन्हें पूजा जाता है पूर्व में से एक है शमी का वृक्ष जिसकी पूजा का अधिक महत्व है। परंतु इसकी पूजा क्यों की जाती है इसका धार्मिक महत्व क्या है, इससे जुड़ी धार्मिक कथाएं क्या हैं व इसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। आइए जानते हैं शमी वृक्ष की पूजा से जुड़ी तीन ऐसी पौराणिक मान्यताएं जिसके बारे में लोग आज भी अनजान है।

पौराणिक मान्यताएं हैं कि भगवान श्रीराम ने जब लंका पर आक्रमण करना था उसके पूर्व उन्होंने शमी वृक्ष के समक्ष शीश नवा कर अपनी विजय की प्रार्थना की थी। तथा लंका पर विजय तथा रावण के अंत के बाद उन्होंने विधिवत शमी वृक्ष का पूजन किया था। यही कारण है कि दशहरे के दिन आज भी लोग शमी के पत्ते भीम करते हैं तथा इस दिन इसके पत्तों को तोड़ने से पहले इसका विधिवत पूजन किया जाता है। इस पौधे को शत्रु पर विजय दिलवाने का प्रतीक माना जाता है।

इसके अलावा शास्त्रों के अनुसार लंका से विजई होगा जब श्री राम अयोध्या लौटे थे तो उन्होंने लोगों को जन्म दिया था। के प्रतीक रूप में दशहरे पर खासतौर से सोना चांदी के रूप में शमी की पत्तियां बांटी जाती हैं। कुछ लोगों के अनुसार खेजड़ी के वृक्ष के पत्ते भी बांटे जाते हैं जिन्हें सोना पत्ति के नाम से जाना जाता है।

महाभारत काल के अनुसार जब पांडवों को देश निकाला दिया गया था तो अपने अंतिम वर्ष में उन्होंने अपने हथियार शमी के वृक्ष में ही छिपा आए थे। जब उन्होंने इन हथियारों को वापस प्राप्त किया था तब उन्होंने हत्यारों के साथ शमी वृक्ष की भी पूजा की थी। कहा जाता है इन्हीं हथियारों से पांडवों ने महाभारत का युद्ध जीता था।
 

 


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Content Writer

Jyoti

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