Kabir Das Ji: इस चीज़ से बनाएं दूरी, जीवन में आएगी सहजता

punjabkesari.in Monday, Apr 11, 2022 - 11:45 AM (IST)

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एक व्यक्ति कबीर के पास गया और बोला मेरी शिक्षा समाप्त हो गई है। मेरे मन में दो बातें आती हैं, एक यह कि विवाह करके गृहस्थ जीवन बिताऊं, दूसरा संन्यास धारण करूं? 

इनमें से मेरे लिए क्या अच्छा रहेगा?
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कबीर ने कहा दोनों ही बातें अच्छी हैं, जो भी करना हो सोच-समझ कर करो और वह उच्चकोटि का हो। उस व्यक्ति ने पूछा उच्चकोटि का कैसे हो? कबीर बोले प्रत्यक्ष दिखाकर बताऊंगा। वह व्यक्ति रोज उत्तर की प्रतीक्षा में कबीर के पास आने लगा। एक दिन कबीर दिन के 12 बजे में सूत कात रहे थे। उन्होंने पत्नी को दीपक लाने को कहा। वह तुरन्त दीपक जलाकर लाई और उनके पास रख गई। दीपक जलता रहा और वह सूत कातते रहे।

सायंकाल को उस व्यक्ति को लेकर कबीर एक पहाड़ी पर गए जहां काफी ऊंचाई पर एक वृद्ध साधु कुटिया बनाकर रहते थे। कबीर ने साधु को आवाज दी, महाराज आपसे कुछ जरूरी काम है कृपया नीचे आइए। बूढ़ा व बीमार साधु मुश्किल से ऊंचाई से उतर कर नीचे आया। कबीर ने पूछा आपकी आयु कितनी है यही जानने के लिए नीचे  बुलाया है। साधु बोला अस्सी वर्ष। जवाब देकर वह फिर से ऊपर चला गया। 
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कबीर ने फिर आवाज दी और नीचे बुलाया। साधु फिर आया। उससे पूछा, आप यहां पर कितने समय से निवास कर रहे हैं? उसने बताया चालीस वर्ष से। उत्तर देकर जब साधु ऊपर जाने लगा तब वह बहुत थक गया था लेकिन उसे थोड़ा भी क्रोध नहीं आया। 

कबीर ने अपने साथी से कहा तुम्हारे प्रश्र के उत्तर में ये दोनों घटनाएं उपस्थित हैं। गृहस्थ बनाना हो तो ऐसे जीवनसाथी का चयन करना चाहिए जो हम पर पूरा भरोसा रखे और हमारा कहना सहजता से माने। साधु बनना हो तो ऐसा बनना चाहिए कि कोई कितना ही परेशान करे क्रोध न आए तथा हमेशा सहज रहे।
 


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Content Writer

Jyoti

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