कार्तिक पूर्णिमा के दिन इस स्तुति का पाठ करने से धन-धान्य में होगी वृद्धि

punjabkesari.in Sunday, Nov 07, 2021 - 03:20 PM (IST)

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ज्यादातर लोग जानते हैं कि कार्तिक मास श्री हरि विष्णु को अति प्रिय है, जिस कारण इस दौरान इनकी विधि वत रूप से पूजा की जाती है। परंतु बहुत कम लोग हैं जो ये जानते हैं कि जितना ये मास नारायण को प्रिय है, उतना ही कार्तिक का महीना देवी लक्ष्मी को प्रिय है। कहा जाता है इस मास में खास रूप से विष्णु जी के साथ-साथ देवी लक्ष्मी की भी विशेष पूजा करनी चाहिए। तो वहीं शरद पूर्णिमा से लेकर कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि तक हिंदू धर्म के कई खास पर्व व त्यौहार पड़ते हैं, जिस दौरान इनकी आराधना करना बेहद लाभदायी होता है। उन्हीं में से एक है कार्तिक पूर्णिमा का दिन। जी हां, कहा जाता  है कि अगर इस दिन व्यक्ति देवी लक्ष्मी की पूजा-अर्चना के साथ-साथ श्रद्धापूर्वक इनकी स्तुति का पाठ करते हैं, उन्हें सौभाग्य की प्राप्ति होती है। तथा उनके जीवन में कभी धन-धान्य की कोई कमी नहीं होती। यहां जानें महालक्ष्मी स्तुति- 

महालक्ष्मी स्तु‍ति
आदि लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु परब्रह्म स्वरूपिणि।
यशो देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।1।।
सन्तान लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु पुत्र-पौत्र प्रदायिनि।
पुत्रां देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।2।।
विद्या लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु ब्रह्म विद्या स्वरूपिणि।
विद्यां देहि कलां देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।3।।
धन लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व दारिद्र्य नाशिनि।
धनं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।4।।
धान्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वाभरण भूषिते।
धान्यं देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।5।।
मेधा लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु कलि कल्मष नाशिनि।
प्रज्ञां देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।6।।
गज लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वदेव स्वरूपिणि।
अश्वांश गोकुलं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।7।।
धीर लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु पराशक्ति स्वरूपिणि।
वीर्यं देहि बलं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।8।।
जय लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व कार्य जयप्रदे।
जयं देहि शुभं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।9।।
भाग्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सौमाङ्गल्य विवर्धिनि।
भाग्यं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।10।।
कीर्ति लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु विष्णुवक्ष स्थल स्थिते।
कीर्तिं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।11।।
आरोग्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व रोग निवारणि।
आयुर्देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।12।।
सिद्ध लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व सिद्धि प्रदायिनि।
सिद्धिं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।13।।
सौन्दर्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वालङ्कार शोभिते।
रूपं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।14।।
साम्राज्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु भुक्ति मुक्ति प्रदायिनि।
मोक्षं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।15।।
मङ्गले मङ्गलाधारे माङ्गल्ये मङ्गल प्रदे।
मङ्गलार्थं मङ्गलेशि माङ्गल्यं देहि मे सदा।।16।।
सर्व मङ्गल माङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्रयम्बके देवि नारायणि नमोऽस्तुते।।17।।
शुभं भवतु कल्याणी आयुरारोग्य सम्पदाम्।

।। इति लक्ष्मी स्तुति संपूर्णम ।।


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Content Writer

Jyoti

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