देवउठनी एकादशी 2019ः इस वस्तु का दान कहलाएगा महादान

punjabkesari.in Wednesday, Nov 06, 2019 - 03:28 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
देवउठनी एकादशी का दिन हिंदू धर्म में बहुत ही खास होता है। दिवाली के बाद ये एक ऐसा पर्व है, जिसे बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु अपनी चार महीने की योग निद्रा से जाग जाते हैं और इसी दिन तुलसी विवाह की परंपरा होती है। शास्त्रों में देवउठनी एकादशी को हरि प्रबोधिनी, देव प्रबोधिनी के नाम से जाना जाता है। इस तिथि को तुलसी जी पृथ्वी लोक से वैकुंठ लोक में चली जाती हैं और देवताओं की जागृति होकर उनकी समस्त शक्ति पृथ्वी लोक में आकर लोक कल्याणकारी बन जाती हैं। 
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शास्त्रों में तुलसी को बहुत ही पूजनीय माना जाता है। तुलसी का पत्ता चरणामृत के साथ ग्रहण करने से अनेक रोग दूर होते हैं। कार्तिक माह में इसका पूजन बहुत ही महत्व रखता है। इसके साथ ही पूरे वर्षभर ही इनका पूजन करने वाले को भगवान विष्णु की कृपा मिलता है। तुलसी दल अकाल मृत्यु के भय को दूर करता है। देवउठनी एकादशी पर तुलसी और विष्णु पूजन के साथ ही यह कामना की जाती है कि घर में आने वाले मंगल कार्य निर्विघ्न संपन्न हों। ऐसा माना जाता है कि इस दिन तुलसी के पौधों का दान करना बहुत मायने रखता है।
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हिंदू पंचांग के अनुसार एकादशी की तिथि का बहुत महत्व होता है। अतः इस दिन को विशेष पूजा-अर्चना के साथ मनाया जाता है। देवउठनी एकादशी वाले दिन से ही विवाह के अतिरिक्त उपनयन, गृह प्रवेश आदि अनेक मंगल कार्यों को संपन्न करने की शुरुआत कर दी जाती है।
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इस दिन पूजन के साथ व्रत रखने को भी बड़ा महत्व दिया जाता है। महिलाएं इस दिन आंगन में गेरू तथा खड़ी से मांडणे सजाती हैं और तुलसी विवाह के साथ ही गीत एवं भजन आदि के साथ सभी उत्सव मनाते हैं।


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