‘समुद्र से रास्ता’ लेने के लिए यहां की थी श्रीराम ने 3 दिन तक तपस्या

punjabkesari.in Wednesday, Sep 01, 2021 - 11:38 AM (IST)

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राम की वनवास यात्रा से जुड़े जिन स्थलों के दर्शन इस बार आपको करवाने जा रहे हैं, उनमें वह स्थान विशेष रूप से शामिल है जहां श्रीराम ने लंका पहुंचने के लिए समुद्र से रास्ता देने की विनती करते हुए कठिन तपस्या की थी। अन्य स्थलों में वह स्थान मौजूद है जहां लंका जाने के लिए बनाए गए सेतु के अवशेष समुद्र में आज भी नजर आते हैं। ये सभी स्थल तमिलनाडु के रामनाथपुरम में स्थित हैं।

दर्भशयनम, त्रिपुल्लाणी (आदि रामेश्वर)
त्रिपुल्लाणी समुद्र तट पर पहुंच कर श्रीराम समुद्र से रास्ता लेने के लिए 3 दिन तक तपस्यारत पृथ्वी पर लेटे रहे। यहीं श्रीराम ने शिवलिंग की स्थापना की थी। इसे आदि रामेश्वर माना जाता है। यहीं समुद्र ने प्रकट होकर श्रीराम को पुल बनाने की युक्ति बताई थी। (ग्रंथ उल्लेख : वा.रा. 6/21 पूरे अध्याय 6/22/48 से 87 तक, मानस 5/49/3 से 5/50/4 5/57 दोहे से 6/1/1)

‘छेदु’ शब्द ‘सेतु’ का ही अपभ्रंश है तथा तमिल शब्द ‘करई’ का अर्थ है ‘कोना’। यहां पुल की आधारशिला रखी गई थी। छेदुकरई से समुद्र में 2 किलोमीटर भीतर तक जाएं तो सेतु के अवशेष देखे जा सकते हैं। ये सेतु के स्त भ हो सकते हैं। सेतु के ये हिस्से समुद्र में 10-11 फुट गहरे हैं।
(ग्रंथ उल्लेख : वा.रा. 6/21 पूरे अध्याय 6/22/48 से 87 तक, मानस 5/49/3 से 5/50/4 5/57 दोहे से 6/1/1)  

विलुंडी तीर्थ : सेना के लिए शुद्ध मीठे जल हेतु श्रीराम ने बाण मार कर यहां जल स्रोत बनाया था। तंगचिमडम से लगभग 10 कि.मी. दूर समुद्र में स्थित इस कुएं से आज भी मीठा पानी ही निकलता है। वैशाख तथा आषाढ़ में यहां पानी विशेष रूप से मीठा हो जाता है।
(ग्रंथ उल्लेख : वा.रा. 6/21 पूरे अध्याय 6/22/48 से 87 तक, मानस 5/49/3 से 5/50/4/5/57 दोहे से 6/1/1)


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Content Writer

Jyoti

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