करवा चौथ पर जरूर करें इस मंदिर के दर्शन और पाएं सौभाग्य का वरदान

punjabkesari.in Monday, Oct 14, 2019 - 02:30 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
आज से कार्तिक महीने की शुरुआत हो चुकी है और इसके साथ ही बहुत सारे त्योहार भी शुरू हो जाते हैं। इसी बीच उत्तर भारत में मनाया जाने वाला करवा चौथ का पर्व भी आता है, जोकि बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। कहते हैं कि ये व्रत सुहागिन महिलाएं अपनी पति की लम्बी उम्र के लिए रखती हैं। इस साल ये पर्व 17 अक्टूबर दिन गुरुवार को मनाया जा रहा है। शास्त्रों के अनुसार इस व्रत में चौथ मैया की पूजा की जाती है और उनका आशीर्वाद लिया जाता है। चौथ माता हिन्दू धर्म की प्रमुख देवी मानी जाती है जो स्वयं माता पार्वती का ही एक रूप है। आज हम आपको चौथ माता का एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे, जिसके बार में शायद ही आप लोग जानते होंगे। 
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राजस्थान के सवाई माधोपुर में पहाड़ की एक चोटी पर चौथ माता का मंदिर स्थित है और ये बहु ही प्राचीन और सुप्रसिद्ध है। बता दें कि इस मंदिर की स्थापना 1451 में राजा भीम सिंह ने की थी। माधोपुर में करवा चौथ, भाद्रपद चौथ, माघ चौथ और लक्खी मेला पर लाखों श्रद्धालु इस स्थान पर आते हैं और माता के दर्शन करते हैं। करवा चौथ के दिन चौथ माता के मंदिर को दुल्हन की तरह सजाया गया है। यहां मान्यता है कि करवा चौथ के दिन माता के दर्शन और पूजा करने से अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है और दांपत्य जीवन में भी सुख बढ़ता है।
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इस स्थान तक पहुंचने के लिए भक्तों को 700 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। इस मंदिर की उंचाई कम से कम 1100 फीट है। चौथ माता का मंदिर राजपूताना शैली में सफेद संगमरमर का बना हुआ है। इस मंदिर में चौथ माता के साथ भगवान गणेश और भैरवनाथ की भी मूर्ति भी है। वहीं अगर हम बात करें मंदिर में वास्तुकला की तो परंपरागत राजपूताना शैली देखी जा सकती है। 
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यहां के लोगों का मानना है कि कोई भी शुभ कार्य से पहले चौथ माता को निमंत्रण दिया जाता है। कहते हैं कि ऐसा करने पर वह कार्य जल्दी व अच्छे से पूरा होता है। बूंदी राजघराने में आजतक चौथ माता को कुलदेवी के रूप में पूजा जाता है। मंदिर में पति की लंबी उम्र, संतान प्राप्ति और सुख व समृद्धि की कामना लेकर भक्तजन दर्शन करने आते हैं। बता दें कि मंदिर में सैकड़ों साल से एक अखण्ड ज्योति भी जल रही है। वैसे तो यहां पर हर दिन भक्तजनों की भीड़ रहती है लेकिन करवा चौथ पर एक अलग ही नजारा देखने को मिलता है।


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