चाणक्य नीति: कर्म को न पहचाने वाला होता है अंधा

punjabkesari.in Sunday, Jan 07, 2018 - 12:45 PM (IST)

चाणक्य प्राचीन भारतीय राजनीतिक व सामाजिक मूल्यों के निर्विवाद मापदंड व नीति निर्धारक स्वीकार किए गए हैं। वे भारत की रचनात्मक बुद्धि के प्रतीक हैं। उनकी नीतियां एक आम आदमी के लिए मार्गदर्शक मानी गई हैं। वे प्रथम व्यक्ति हैं जिन्होंने भारतीय राजनीति में कूटनीतिक जोड़-तोड़, दांव-पेंचों की शतरंजी चालों का सफलतापूर्वक प्रयोग किया। चाणक्य भौतिक कूटनीतिज्ञ होने के साथ-साथ एक अर्थशास्त्री भी थे। उनके ग्रंथ अर्थशास्त्र में एक राज्य के आदर्श अर्थतंत्र की पूरी व्यवस्था का विस्तृत वर्णन है और उसी में राजशाही के संविधान की रूपरेखा भी है। शायद विश्व में चाणक्य का अर्शशास्त्र पहला विधि-विधान पूर्वक लिखा गया राज्य का संविधान है। उन्होंने संविधान लेखक रूप में स्वयं को कौटिल्य के रूप में प्रस्तुत किया।


य कार्य न पश्यति सोन्ध:।

भावार्थ: जो अपने कर्म को नहीं पहचानता वह अंधा है। कर्म न करने वाला व्यक्ति, आंखों के रहते हुए भी नेत्रहीन कहलाता है जिस राज्य के कर्मचारी अपने कर्तव्य को जानते हुए भी कार्य नहीं करते, ऐसे लोग अंधे ही होते हैं।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News