इन तीन देवों को करें ग्रहण काल में प्रसन्न, होगा लाभ ही लाभ

punjabkesari.in Friday, Jun 05, 2020 - 03:32 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
चंद्र ग्रहण के बारे में लगभग लोग जानते हैं मगर आज भी कुछ ऐसे लोग हैं जिन्हें उपछाया ग्रहण के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। इसीलिए आज हम आपको बताने जा रहे हैं उपछाया ग्रहण से जुड़ी खास बातें, कि आख़िर ये उपछाया चंद्रग्रहण है क्या। दरअसल ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दौरान पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है। बता दें भारतीय ज्योतिष शास्त्र के समयानुसार चन्द्रग्रहण रात 11:15 बजे से 12:54 बजे तक प्रभावी रहने वाला है। कहा जाता है इस ग्रहण को स्ट्रोबेरी चंद्र ग्रहण भी बोला जा सकता है। अगर नासा की मानें तो अभी तक अभी तक ऐसे कोई प्रमाण नहीं मिले हैं जिनसे पता चले कि चंद्र ग्रहण का मनुष्यों पर कोई प्रभाव पड़ता हो।  
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ज्योतिषियों के मुताबिक इस ग्रहण का भारत में प्रभाव नहीं है जिस कारण इसका कोई सूतक काल नहीं माना जाएगा परंतु  लेकिन ग्रहण के दौरान कई तरह के नियमों के पालन की सलाह दी जाती है। हालांकि यह उपछाया चंद्र ग्रहण है। इसलिए इस ग्रहण का कोई आध्यात्मिक दृष्टि से प्रभाव नहीं पड़ेगा। फिर भी चंद्र ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को खास सावधानी रखनी चाहिए। 

क्या है उपछाया चन्द्रग्रहण:  
बताया जाता है उपछाया चन्द्रग्रहण तब होता है जब सूरज और चंद्रमा के बीच पृथ्वी घूमते हुए आती है, मगर यह तीनों एक सीधी लाइन में नहीं होते। ऐसी स्थिति में चांद की छोटी सी सतह पर अंब्र नहीं पड़ती है। पृथ्वी के बीच से पड़ने वाली छाया को अंब्र कहा जाता है। चांद के शेष हिस्से में पृथ्वी के बाहरी हिस्से की छाया पड़ती है। जिसे उपछाया कहा जाता है। 

इस दौरान महिलाओं को चाकू या किसी धारदार चीज़ का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, न ही कुछ खाना चाहिए। 

ऐसा कहा जाता है इस दौरान खाना खाने से कफ दोष बढ़ता है। 
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तो वहीं गर्भवती महिलाओं को विष्णु के मंत्र 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय', 'भगवान शिव के मंत्र ॐ नम: शिवाय', भगवान गणेश के मंत्र 'श्री गणेशाय नम:' का अधिक से अधिक जाप करना चाहिए।

इसक अलावा सभी को ग्रहण समाप्त होने के बाद चावल या किसी सफ़ेद चीज का दान करना चाहिए। 
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Jyoti

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