Chanakya Niti: बच्चों की पहली पाठशाला होती है घर-परिवार से

punjabkesari.in Wednesday, Jan 20, 2021 - 05:50 PM (IST)

चाणक्य ने अपनी नीतियों में बहुत सारी ऐसी बातों के बारे में जिक्र किया है, जिनका मनुष्य के जीवन पर असर पड़ता है। जानकारी के लिए बता दें कि वे एक योग्य शिक्षक भी थे। चाणक्य के अनुसार किसी भी माता-पिता के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि उनकी योग्य संतान होती है। संतान योग्य बनाने के लिए माता पिता की भूमिका अहम होती है। माता पिता के द्वारा ही संतान में श्रेष्ठ गुणों की नींव डाली जाती है। चलिए जानते हैं कि बच्चों में कौन से गुण होने चाहिए।
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चाणक्य के अनुसार जीवन शिक्षा का महत्व तभी होता है जब छात्र को संस्कारों के बारे में भी पूर्ण ज्ञान हो। एक बालक के उसके माता पिता और परिवार ही से प्रथम पाठशाला होते हैं। बच्चा अपने जीवन में वही सीखता या करता है जो उसे विरासत में अपने माता पिता और परिवार से मिला हो।
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बच्चे गीली मिट्टी के समान होते है। उनके कोमल मन पर हर चीज का प्रभाव बहुत जल्दी होता है। इसी तरह से घर के वातावरण का भी बच्चों पर बहुत असर होता है। माता पिता द्वारा बच्चों के सामने किए गए गलत का बुरा प्रभाव बच्चों के मन और मस्तिष्क पर पड़ता है। इसलिए बच्चों के सामने माता पिता को सदैव अपना आचरण अच्छा रखना चाहिए।
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बच्चों में बहुत सारी आदतों का विकास माता पिता को देखने से होता है। बच्चों को अच्छी आदतें सिखाने के लिए स्वयं भी अच्छी बातों को अपनाना चाहिए। जब माता पिता अच्छी आदतों का अनुसरण करते हैं तो संतान के द्वारा भी उन आदतों को अपनाया जाता है।


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