Chaitanya Mahaprabhu: इस सुख को पाने के बाद कोई इच्छा नहीं रहती अधूरी

punjabkesari.in Tuesday, May 04, 2021 - 02:24 PM (IST)

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चैतन्य महाप्रभु एक बार नौका से कहीं जा रहे थे। उनके साथ कुछ सिपाही और एक रघुनाथ पंडित भी थे। उनके हाथ में उनका एक हस्तलिखित ग्रंथ था-न्याय पर टिका। नाव में बैठे-बैठे ग्रंथों की बात चली तो चैतन्य महाप्रभु ने अपने द्वारा लिखित ग्रंथ के बारे में बताया। रघुनाथ पंडित ज्यों-ज्यों उस ग्रंथ के बारे में सुनते गए, उनका विक्षेप बढ़ता गया।

प्रभु ने पूछा, ‘‘क्या बात है? उसने कहा-मैंने बड़ी मेहनत के साथ दधीचि नामक पुस्तक लिखी थी और मैं समझता था कि यह दुनिया की सर्वश्रेष्ठ पुस्तक कहलाएगी। पर आपके ग्रंथ के आगे मेरे लिखे हुए ग्रंथ को कौन पूछेगा?’’ 

निताई ने कहा, ‘‘बस इतनी-सी बात? साधारण पोथी से तुम्हें क्लेश हो रहा है। तुम्हारे लिए मैं प्राण दे सकता हूं, यह ग्रंथ क्या चीज है।’’ 

उन्होंने एक-एक पन्ना फाड़कर नदी में फैंक दिया, निताई की ग्रंथ में भी आसक्ति न देखकर रघुनाथ हैरान हो गए। 

सिद्धांत : जिसने असली धन पा लिया उसके लिए दुनिया की हर चीज तुच्छ हो जाती है। —रमेश जैन


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Jyoti

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