एक तरफ गूंजी मंदिर की घंटियां, तो दूसरी ओर मस्जिदों में दुआओं के लिए उठे हज़ारों हाथ
punjabkesari.in Tuesday, Aug 13, 2019 - 09:42 AM (IST)
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जैसे कि सब जानते है सावन का महीना अपनी अंतिम चरण में पहुंच चुका है। 15 अगस्त 2019 को इस साल के श्रावण महीने का समापन हो जाएगा। बीते दिन यानि 12 अगस्त को सावन का आख़िरी सोमवार था। जिसके चलते शिव मंदिरों या शिवालयों में भक्तों की भीड़ देखने को मिली है।
मगर सावन के इस आखिरी सोमवार की सबसे बड़ी खासियत तो ये थी कि जहां एक तरफ़ देश में मंदिरों की घंटियों की आवाज़ गूंज रही थी तो वहीं दूसरी ओर मस्जिदों में नमाज पढ़ी गई। बता दें बीते दिन हिंदू धर्म के लिए सावन का सोमवार, प्रदोष व्रत व सोम प्रदोष व्रत के चलते ये दिन बेहद खास था, तो वहीं मुस्लिम समुदाय के लिए ईद-उल-अजहा या बकरीद ईद होने के कारण इस दिन की अधिक विशेषता थी।
कुल मिलाकर कहने का भाव यह है कि एक दिन को पड़ने वाले ये सभी त्यौहारों के कारण देश में माहौल काफी भक्तिमय रहा है। समस्त मंदिर तथा मस्जिदों में लोगों की भीड़ देखने को मिली। इतना ही नहीं कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद सरकार की तरफ़ से लगाए गए कर्फ्यू के दौरान लागू 144 धारा को लेकर भी प्रशासन की ओर से ढील दिखाई दी। यहां की मस्जिदों में भी लोगों ने मिलकर ईद की नमाज अदा की। हालांकि नमाज अदा करने के बाद दोबारा से 144 धारा लगा दी गई।
बताया जाता है जहां सावन का आख़िरी सोमवार शिव भक्तों के लिए बहुत अहम होता है तो वहीं मीठी ईद के 2 महीने बाद आने वाली बकरीद ईद का मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए विशष महत्व होता है। बता दें कि ईद उल अजहा को बड़ी ईद भी कहा जाता हैं। मुस्लिम समुदाय में यह पर्व हजरत इब्राहिम की कुर्बानी की याद के तौर पर मनाया जाता है। ईद-उल-जुहा के दिन मुसलमान किसी जानवर जैसे बकरा, भेड़, ऊंट आदि की कुर्बानी देते हैं। कुर्बानी और गोश्त को हलाल कहा जाता है। बकरे के गोश्त को तीन भागों में बांटकर एक हिस्सा खुद के लिए, एक दोस्तों और रिश्तेदारों के लिए और तीसरा हिस्सा गरीबों के लिए रखा जाता है।
तो सावन के आख़िरी सावन का अपना अलग महत्व है। इस बार भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत भी इसी दिन पड़ा। मान्यता है इस दिन भगवान शिव की भगवान शिव की अराधना से दोगुना लाभ प्राप्त होता है। इसके अलावा सावन के आख़िरी सोमवार को शिवलिंग का रुद्राभिषेक करने की मान्यता प्रचलित है।
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