Bhishma Ashtami 2020: इस शुभ मुहूर्त में पाएं पितामह भीष्म से आशीर्वाद
punjabkesari.in Sunday, Feb 02, 2020 - 10:49 AM (IST)
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भीष्म पितामह, शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो महाभारत से रूबरू होने के बावज़ूद भी भीष्म पितामह से अंजान होगा। क्योंकि अगर आप महाभारत ग्रंथ से जुड़ी जानकारी रखते हैं तो आप अच्छे से जानते होंगे कि भीष्म जिन्हें भीष्म पितामह के नाम से जाना जाता है, महाभारत के सबसे महत्वपूर्ण पात्रों में से एक थे। धार्मिक ग्रंथों में इनके बारे में जो वर्णन मिलता है उसके अनुसार भीष्म महाराजा शांतनु और देव नदी गंगा की आठवीं संतान थे, जिनका असली नाम देवव्रत था। कहा जाता है भीष्म पितामह में अपने पिता शांतनु का सत्यवती से विवाह करवाने के लिए आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन करने की भीषण प्रतिज्ञा की थी। अपने पुत्र की अपने प्रति इस पितृभक्ति से प्रसन्न होकर ही महाराज शांतनु ने उन्हें इच्छा मृत्यु का वरदानदिया था। यही कारण था महाभारत युद्ध के दौरान इतने बाण लगने पर भी इनके प्राण नहीं गए थे। शास्त्रों में इन्हें गांगेय, शांतनव, नदीज, तालकेतु आदि के नाम से भी जाना जाता है।
जिस तरह हिंदू धर्म में तमाम देवी-देवताओं की तरह इन्हें भी खास दिन समर्पित है जिस दौरान इन्हें प्रसन्न करने के लिए विशेष प्रकार से पूजा-अर्चना करना लाभदायक माना जाता है। बता दें महाभारत के महान पात्र भीष्म पितामह को भीष्म अष्टमी का पर्व समर्पित है। कहा जाता है यह दिन बेहद ही भाग्यशाली होता है, इसलिए लोग आज के दिन भीष्म अष्टमी का व्रत रखते हैं। पौराणिक रूप से यह पर्व भीष्म पितामह की मृत्यु का प्रतीक है। इसी दिन भीष्म पितामह ने अपने प्राण त्यागे थे। इस पावन दिन को उन्होंने स्वयं ही चुना था। भीष्म अष्टमी का उत्सव राष्ट्र के विभिन्न क्षेत्रों में होता है। बताया जाता है देश के कईं इस्कॉन मंदिरों के साथ-साथ भगवान विष्णु के मंदिरों में भीष्म पितामह के सम्मान में भव्य उत्सव भी होता है।
बता दें हिंदू पंचांग के अनुसार, यह त्योहार प्रति वर्ष माघ शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। जो इस बार आज यानि साल 2020 में 2 फरवरी को मनाया जाएगा।
भीष्म अष्टमी का मुहूर्त
माघ शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि प्रारंभ - 18:08 (01 फरवरी 2020)
माघ शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि समापन - 20:00 बजे तक (02 फरवरी 2020)