भानु सप्तमी: इस दिन होती है सूर्यदेव की पूजा, ऐसे करें इन्हें प्रसन्न

punjabkesari.in Sunday, May 08, 2022 - 10:16 AM (IST)

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जैसा कि सब जानते ही होंगे पौष का महीना चल रहा है और पौष महीने में सूर्यदेव की आराधना का बहुत महत्व होता है। तो ऐसे में रविवार के दिन पड़ने वाली सप्तमी तिथि को भानु सप्तमी के नाम से जाना जाता है।  शास्त्रों में इस तिथि को बेहद ही शुभ माना गया है।. बता दें कि,  इस बार भानु सप्तमी 08 मई को है। इस दिन भगवान सूर्य देव का व्रत और उपासना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। तो  आइए जानते हैं इसके महत्व और पूजा विधि के बारे में-

भानु सप्तमी का हिंदू धर्म में बहुत महत्व माना गया है। ऐसा माना जाता है कि भानु सप्तमी की पूर्व संध्या पर, सूर्य देवता ने सात घोड़ों के रथ पर अपनी पहली उपस्थिति दर्ज की थी। भानु सप्तमी पर सूर्य को जल चढ़ाने से बुद्धि का विकास होता है और मानसिक शांति मिलती है। वह व्यक्ति कभी भी अंधा, दरिद्र, दुखी नहीं रहता। सूर्य की पूजा करने से मनुष्य के सब रोग दूर हो जाते हैं। भानु सप्तमी के दिन दान करने से पुण्य बढ़ता है और मां लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं। बता दें कि पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ यह व्रत करने से पिता और पुत्र में प्रेम बना रहता है। इस दिन सामर्थ्य के अनुसार गरीबों और ब्राह्मणों को दान देना चाहिए।

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सबसे पहले सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर व्रती साफ-सुथरे कपड़े पहनें। इसके बाद सूर्य को जल चढ़ाने के लिए एक तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें लाल चंदन या कुमकुम, लाल फूल, चावल और गेहूं के दाने डालकर सूर्य को अर्घ्य दें। साथ ही इस दौरान सूर्य मंत्रों का जाप करें। जल चढ़ाने के बाद सूर्य की शुभ किरणों का स्वागत करने के लिए अपने घर के सामने सुंदर और रंगीन रंगोली बनाएं। फिर इसके बाद पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके पूजा स्थल पर बैठ जाएं। सूर्यदेव के सामने गाय के घी का दीपक व कपूर जलाये। सूर्य के सामने बैठकर बिना नमक का व्रत करने का संकल्प लें। संभव हो तो पूरे दिन तांबे के बर्तन का पानी पीएं।

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पूरे दिन व्रत रखें और फलाहार में नमक न खाएं। उसके बाद सूर्यदेव की  चंदन, अक्षत, लाल फूल, धूप आदि से श्रद्धा पूर्वक व विधि के अनुसार पूजा करनी चाहिए। इस दिन गायत्री मंत्र और आदित्य स्तोत्र का पाठ करना सबसे उचित होता है। पाठ करने के बाद खीर को सूर्य देवता के भोग के रूप में उन्हें अर्पित करें और फिर इस प्रसाद को सभी को बांट दें।  पूजा करने के बाद सूर्यदेव की दीपक और धूप-दीप से आरती करके पूजा को समाप्त करें। फिर बाद में गाय को चारा खिलाएं और अन्य पशु-पक्षियों को भी खाने की कोई वस्तु खिलाएं। अपनी इच्छा अनुसार जरूरतमंदों को दान करें। इस विधि से सूर्यदेव की पूजा करने से सभी पाप नष्ट होते हैं और जीवन में कभी भी अंधकार नहीं रहता है।

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Content Writer

Jyoti

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