छोटा रुद्राक्ष बड़ा लाभ, हृदय रोगी खास मुहूर्त में करें धारण
punjabkesari.in Friday, Jun 12, 2020 - 12:31 PM (IST)
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Rudraksha: भगवान शिव की पूजा हो और रुद्राक्ष का नाम न आए ऐसा मुमकिन ही नहीं है। इसीलिए भगवान शिव के उपासक राशि एवं ग्रह के अनुरूप रुद्राक्ष धारण करते हैं। सुख, समृद्धि एवं सम्पन्नता प्रदान कर धारक को निरोगी बनाने में सहायक होने वाले छोटे रुद्राक्ष का कारोबार काफी बढ़ गया है। लोग इसे फैशन के तौर पर भी पहनते हैं। सबसे ज्यादा आश्चर्यजनक पहलू यह है कि भारत में केवल 3 प्रतिशत रुद्राक्ष का ही उत्पादन होता है, अधिकांश रुद्राक्ष इंडोनेशिया और नेपाल से मंगवाए जाते हैं। रुद्राक्ष की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसकी ऑनलाइन बिक्री के लिए इंटरनैट पर 500 से ज्यादा वैबसाइट हैं। इन दिनों सर्राफा बाजार से लेकर रत्न की दुकानों तक विभिन्न प्रकार के रुद्राक्ष बड़ी संख्या में बिक रहे हैं।
सकारात्मक ऊर्जा का घेरा: शिव जी के जप, हवन और पूजन में रुद्राक्ष को अनिवार्य माना गया है, उसी तरह ध्यान, योग, ताई-ची जैसी वैकल्पिक चिकित्सा में रुद्राक्ष का स्थान सर्वोपरि है। इसके गुणों के कारण ही सदियों से ऋषि-मुनि इसे धारण करते आए हैं।
मस्तिष्क को एकाग्र और कुशाग्र बनाने में रुद्राक्ष के गुणों का कोई तोड़ नहीं है। इसे पहनने वाले के आसपास सकारात्मक ऊर्जा का घेरा बन जाता है। रुद्राक्ष धारक को बेहतर स्वास्थ्य, प्रसन्नता, आध्यात्मिक उन्नति, समृद्धि, रचनात्मकता, परिवार में सामंजस्य, आकर्षष्ट निडरता और मानसिक प्रबलता मिलती है।
रुद्राक्ष में रसायन भी: रुद्राक्ष में कार्बन, हाईड्रोजन, नाईट्रोजन और ऑक्सीजन सहित एल्युमीनियम, कैल्शियम, क्लोरीन, कॉपर, कोबाल्ट, निकल, आयरन, मैग्नीशियम, मैगनीज, फासफोरस, पोटाशियम, सोडियम, सिलिकॉन ऑक्साइड और जिंक भी पाया जाता है। रुद्राक्ष में चुंबकीय और विद्युतीय गुण भी होते हैं।
शिव के प्रेम स्वरूप हैं रुद्राक्ष: सती देह त्याग के उपरांत प्रजापति दक्ष का यज्ञ विध्वंस कर भगवान रुद्र अपनी प्रिय अर्धांगिनी एवं दक्षसुता जगदम्बा भवानी मां सती के शव को अपने हाथों में उठाकर जब पृथ्वी पर भ्रमण कर रहे थे, तब उनके प्रेम अश्रुओं से ही रुद्राक्ष के वृक्ष का जन्म हुआ। तभी से रुद्राक्ष को भगवान शिव का प्रेम-स्वरूप माना गया है अभिजित मुहूर्त में हृदय रोगी चतुर्मुखी रुद्राक्ष धारण करें तो लाभ होगा।
क्यों हैं खास: भगवान श्रीराम का जन्म अभिजित मुहूर्त में हुआ था, जिसका उल्लेख श्री रामचरित मानस में बालकांड के श्रीराम जन्म प्रसंग में है। अभिजित मुहूर्त में किया गया कार्य अन्य मुहूर्तों की अपेक्षा शीघ्र लाभ देने वाला होता है।
राशियों के लिए रुद्राक्ष
राशि | ग्रह | रुद्राक्ष |
मेष | मंगल | तीन मुखी |
वृषभ | शुक्र | छ: या तेरह मुखी |
मिथुन | बुध | चार मुखी |
कर्क | चंद्र | दो मुखी |
सिंह | सूर्य | एक या बारह मुखी |
कन्या | बुध | चार मुखी |
तुला | शुक्र | छ: या तेरह मुखी |
वृश्चिक | मंगल | तीन मुखी |
धनु | गुरु | पांच मुखी |
मकर | शनि | सात या चौदह मुखी |
कुंभ | शनि | सात या चौदह मुखी |
मीन | गुरु | पांच मुखी |
सबसे ज्यादा पढ़े गए
Recommended News
Recommended News
Rang Panchami: रंगपंचमी पर धरती पर आएंगे देवी-देवता, इस विधि से करें उन्हें प्रसन्न
मैड़ी मेले में आए अमृतसर के श्रद्धालु की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत, पुलिस जांच में जुटी
Lok Sabha Election 2024: अमेठी और रायबरेली सीट पर कांग्रेस ने नहीं खोले पत्ते, सीईसी की बैठक में नहीं हुई चर्चा
पंजाब की जेल में कई साल गुजारने वाले यू.पी. के खूंखार गैंगस्टर की मौत