पूजा में बैठने से पहले रखें इन बातों का ध्यान, तभी मिलेगा पूरा लाभ

punjabkesari.in Saturday, Sep 07, 2019 - 06:18 AM (IST)

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आपने अकसर लोगों को ये कहते सुना होगा, भगवान को प्रसन्न करने के लिए मन में सच्ची भक्ति होनी चाहिए। फिर भी व्यक्ति शास्त्रीय विधि अनुसार पूजा-पाठ करना चाहता है। शास्त्रों और वास्तु के अनुसार पूजा में बैठने से पहले रखें इन बातों का ध्यान, तभी मिलेगा पूरा लाभ-

PunjabKesari Before sitting in worship take precautions

देव पूजा सदा पूर्व, पूर्व उत्तरी अथवा उत्तर दिशा की ओर मुख करके करनी चाहिए। पितर तर्पण, पूजन दक्षिण की ओर मुंह करके करने चाहिएं। इन दिशाओं में टॉयलेट या बाथरूम भूल कर भी नहीं होना चाहिए। 

गीले वस्त्रों को पहनकर या हाथ घुटनों से बाहर करके आप जो भी पूजा-हवन दान करते हैं उसका फल निष्फल हो जाता है।

पूजा में बैठने के लिए आसन कुशा, कम्बल (लाल, पीले, सफेद रंग का हो) मृगचर्म तथा सिंहचर्म भी अति उपयोगी होता है। विशेष देवी अनुष्ठान में यह शीघ्र सिद्धि फल देता है।

तिलक लगाए बिना कोई भी कार्य सिद्ध नहीं होता। तिलक कोई भी हो चंदन, गेंदे के पुष्प, पत्ती के रस, केले की जड़ का रस उसमें केसरी सिंदूर, (केसर घुटा हुआ हो) भगवान की मूर्ति को तिलक करके फिर मस्तक पर नीचे से ऊपर की ओर अनामिका उंगली से तिलक लगाएं। 

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भगवान को ताम्रपात्र, चांदी के पात्र में रखी हुई वस्तु ही अर्पित करें, भगवान को वही स्वीकार्य एवं प्रिया होती है।

पूजन में दीपक अति आवश्यक एवं शुभ होता है। देसी घी का दीपक मूर्ति के दाईं ओर तथा तेल का दीपक बाईं ओर होना चाहिए। दीपक का पूजन भी आवश्यक है। दीप प्रज्वलन के बाद हाथ धो लेने चाहिएं।

देव कार्तवीर्य दीप प्रिया, सूर्य अर्घ्य प्रिय (ताम्बे के बर्तन में सिंदूर, शक्कर मिश्रित जल) गायत्री मंत्र उच्चारण करते हुए देना चाहिए। श्री गणेश जी को तर्पण एवं दूर्वा (हरी घास के तिनके) चढ़ाने चाहिएं। मां दुर्गा जी को अर्चना, भगवान शिव को अभिषेक (जल, दूध, ईख का रस, फलों का रस) विजय प्राप्ति के लिए तेल से अभिषेक प्रिय है।

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देव परिक्रमा भी पूजा का विशेष अंग है। विष्णु भगवान की 4 बार, शंकर जी की आधी, देवी की एक बार, सूर्य की 7 बार, गणेश जी की 3 बार परिक्रमा करनी अनिवार्य है।

घर का पका भोजन भगवान को भोग लगाकर खाने से उसके समस्त दोष और त्रुटियां समाप्त हो जाती हैं। 


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Niyati Bhandari

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