वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में होंगे आज भगवान के अद्भुत दर्शन

punjabkesari.in Sunday, Oct 13, 2019 - 12:49 PM (IST)

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हिंदू पंचांग के अनुसार आज शरद पूर्णिमा का पर्व है और ये त्योहार हिंदू धर्म में बहुत ही महत्वूर्ण माना जाता है। पूरे देशभर में इसे बहुत ही खास तरीके से मनाया जाता है। कहते हैं कि इस रात भगवान कृष्ण ने गोपियों के संग रास रचाया था। बता दें कि वृंदावन में इस दिन को लेकर तैयारियां पहले से ही शुरू हो जाती हैं। इसके साथ ही वृंदावन के ठाकुर बांके बिहारी जी को स्वर्ण-रजत जड़ित सिंहासन पर विराजित किया जाता है। चालिए आगे जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।
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वैसे तो हर माह में पड़ने वाली पूर्णिमा खास होती है। लेकिन शरद पूर्णिमा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है, क्योंकि इस रात भगवान कृष्ण रास लीला की थी। इसी कारण आज वृंदावन में बांके बिहारी जी के विशेष दर्शन होंगे और उनके दर्शनों के लिए भक्तगण बहुत दूर-दूर से आते हैं। भगवान इसी बीच राजभोग और शयनभोग के समय भक्तों को विशेष दर्शन देंगे। आज रात वहां महारास का आयोजन भी किया जाता है। बता दें कि राजभोग आरती का समय रविवार सुबह 7:45 बजे बांके बिहारी जी मोर मुकुट, श्वेत कटि कांछनी व बांसुरी धारण करेंगे और अपने भक्तों को दर्शन देंगे। आज के दिन भगवान को सफेद रंग के वस्त्र पहनाएं जाते हैं। इसके बाद दोपहर 12:55 बजे राजभोग आरती होगी। वहीं, शाम 5:30 बजे बांके बिहारी जी के दर्शन दोबारा मिलने शुरू होंगे और रात 10:25 बजे शयनभोग आरती होगी। इसके साथ ही आज बिहारी जी को खीर आदि का भोग लगाया जाएगा।
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आज रात महारास का आयोजन भी किया जाता है और यह कार्यक्रम शाम 6:30 बजे से शुरू होगा। स्थानीय लोगों के मुताबिक स्वामी जी की साधना स्थली में महारास का कार्यक्रम अनूठा होगा। इसके अलावा राधावल्लभ मंदिर, स्नेह बिहारी, प्रेम मंदिर, यशोदानंदन धाम, श्रीजी की बड़ी कुंज, शाहजी मंदिर आदि में ठाकुर जी धवल चांदनी में दर्शन देंगे। बता दें कि शरद पूर्णिमा के दिन से ही पूरे एक माह तक 84 कोस परिक्रमा शुरू हो जाती है। कार्तिक नियम धारण करने वाले श्रद्धालु सुबह 4 बजे से पंचकोसीय परिक्रमा देंगे।
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ज्योतिषियों के मुताबिक वृंदावन के सभी प्रमुख मंदिरों में 14 अक्टूबर से 12 नवंबर तक दीपदान किया जाएगा। कहते हैं कि कार्तिक महीने के दौरान रोजाना 1100 दीपक बांके बिहारी जी के समक्ष जलाए जाते हैं। इसके लिए मंदिर प्रांगण में विशेष व्यवस्था भी की जाती है। 


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