गुप्त नवरात्रि: ऐसे करें कलश स्थापना, जानिए पूजन विधि एवं मुहूर्त

punjabkesari.in Saturday, Jul 10, 2021 - 05:08 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
11 जुलाई दिन रविवार आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गुप्त नवरात्रि का पर्व आरंभ हो रहा है। बता दे यार और माघ मास में आने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गुप्त नवरात्रि में प्रलय एवं संघार के देव महादेव कथा देवी काली की पूजा का विधान है। तो वहीं इस दौरान सदस्यों को अंजाम देते हैं जिसके परिणाम स्वरूप चमत्कारी शक्तियों के स्वामी बन जाते हैं। गुप्त नवरात्रि के दौरान किस आदत महाविद्या के लिए देवी काली तारा देवी त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, माता बगलामुखी, मांतगी तथा देवी कमला की पूजा अर्चना करते हैं।

आइए जानते हैं गुप्त नवरात्रों में कैसे करें कलश स्थापना-

कलश स्थापना के मुहूर्त-
दिन 11 जुलाई, रविवार : कलश स्थापना का शुभ समय- लाभ और अमृत का चौघड़िया प्रातःकाल 9.08 मिनट से शुरू होकर 12.32 मिनट तक रहेगा। अभिजित मुहूर्त- दिन में 12.05 मिनट से 12.59 मिनट तक रहेगा। इस समयावधि में आषाढी गुप्त नवरात्रि की घटस्थापना की जाएगी।

सनातन धर्म में कोई भी धार्मिक कार्य का प्रारंभ बिना कलश स्थापना के नहीं किया जाता। इसके अनुसार किसी को भी एक कलश का रूप माना जाता है। यही कारण है कि कलश में उल्लेखित ने देवताओं का आवाहन कर उन्हें विराजित किया जाता है। इसके अलावा ज्योतिष शास्त्र के अनुसार क्लेश में सभी प्रकार के ग्रह, नक्षत्र एवं तीर्थों का निवास माना जाता है।

शारदीय नवरात्रों की तरह गुप्त नवरात्रि में दुर्गा पूजा का आरंभ करने से पूर्व कलश स्थापना का विधान है।

सबसे पहले मां दुर्गा का स्पेशल श्री स्वरूप चित्रपट लाल रंग के पते पर सजाएं। इसके बाद उनकी पाई और गौरी पुत्र व सर्वप्रथम पूजनीय भगवान गणेश का चित्र स्थापित करें।

पूजा स्थान की उत्तर पूर्व दिशा में जमीन पर 7 तरह के अनाज, पवित्र नदियों की मिट्टी और जौ डालें तथा कलश में गंगाजल लौंग, इलाइची, पान, सुपारी, रोली, मौली, चंदन, अक्षत, पुष्प, आदि मिलाकर इसे आम,पीपल,बरगद गूलर या पाकर के पत्तों से सजा दें।

जौ अथवा कच्चे चावल कटोरी में भरकर कलश के ऊपर रख दें और उसके नीचे लाल कपड़े से लिपटा हुआ पानी वाला नारियल अपने मस्तक से लगाकर प्रणाम करते हुए रेप पर कलश स्थापित कर दें।

इसके बाद इसके बाद अखंड ज्योति प्रज्वलित करें और ध्यान रखें कि पूरे 9 दिन तक यह जल्दी रहे।  विधि विधान से देवी दुर्गा व मं काली का पूजन करें।

दुर्गा सप्तशती में दिए गए नवार्ण मंत्र 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे' से समस्त पूजन सामग्री अर्पित करें।  

सामर्थ्य के अनुसार पूजन सामग्री लाएं और प्रेम भाव से पूजन करें। 

संभव हो तो श्रृंगार का सामान, नारियल और चुनरी अवश्य अर्पित करें। नौ दिन श्रद्धा भाव से ब्रह्म मुहूर्त में और संध्याकाल में सपरिवार आरती करें। 


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Content Writer

Jyoti

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