गाय व कौए के अलावा इन पशु-पक्षियों में भी होता है पूर्वजों का वास

punjabkesari.in Friday, Sep 20, 2019 - 01:26 PM (IST)

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पितृ पक्ष में श्राद्ध आदि करने के साथ-साथ पश-पक्षियों को खाना खिलाने का भी अति महत्व है। जिनमें गाय, कुत्ता व कौआ प्रमुख माने जाते हैं। अधिकतर लोग पितृ तर्पण के दौरान इन्हें तीनों की पूजा व इन्हें खाना आदि खिलाते हैं। क्योंकि कुछ मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि पितृ पक्ष में पूर्वज व बड़े-बुजुर्ग अपन कुल के बच्चों द्वारा किए गए श्राद्ध का भोजन ग्रहण करने के लिए धरती पर इन्ही पशु-पक्षियां का रूप लेते हैं। लेकिन बहुत कम लोग जानते होंगे कि इनके अलावा कई ऐसे पशु-पक्षी हैं जिनमें आत्माएं आश्रय लेती हैं। आज हम आपको कुछ ऐसे ही पश व पक्षियों से जुड़ी बातें बताने जा रहे हैं जिनका पितृ पक्ष से गहरा संबंध है।
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सबसे पहले बाते करेंगे हंस की। कहा जाता है पक्षियों में हंस एक ऐसा पक्षी है जहां देव आत्माएं आश्रय लेती हैं। माना जाता है कि यहां यानि हंस योनि में उन आत्माओं का ठिकाना होता है जिन्होंने अपने संपूर्ण जीवन में पुण्यकर्म किए होते हैं और जीवन में हमेशा यम-नियम का पालन किया होता है। कहते हैं कुछ काल तक हंस योनि में रहकर आत्मा अच्छे समय का इंतजार कर पुन: मनुष्य योनि में लौट आती है या फिर वह देवलोक चली जाती है। हो सकता है कि आपके पितरों ने भी पुण्य कर्म किए हों।
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दूसरे नंबर पर आते हैं गरुड़ जो हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु के वाहन भी है।  इसके अलावा हिंदू धर्म का एक प्रमुख ग्रंथ है जिसका नाम इन पर है यानि गरुड़ पुराण। इस पुराण में श्राद्ध कर्म, स्वर्ग नरक, पितृलोक आदि का उल्लेख मिलता है। इसके अलावा बता दें पक्षियों में गरुड़ को बहुत ही पवित्र माना गया है। भगवान राम को मेघनाथ के नागपाश से मुक्ति दिलाने वाले गरूड़ का आश्रय लेते हैं पितर। इसके अलावा क्रोंच या सारस का नाम भी लिया जाता है।

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हिन्दू धर्म में हाथी को भगवान गणेश का साक्षात रूप माना गया है। इसके अलावा यह इंद्र का वाहन भी है। माना जाता है हाथी को पूर्वजों का प्रतीक होता है। कहा जाता है जब किसी हाथी की मृत्यु होती है उस दिन उसका कोई साथी भोजन नहीं करता है। हाथियों को अपने पूर्वजों की स्मृतियां रहती हैं। अश्विन मास की पूर्णिमा के दिन गजपूजा विधि व्रत रखा जाता है। सुख-समृद्धि की इच्छा रखने वाले उस दिन हाथी की पूजा करते हैं। इसके अलावा वराह, बैल और चींटियों का यहां उल्लेख किया जा सकता है। जो चींटी को आटा देते हैं और छोटी-छोटी चिड़ियों को चावल देते हैं, वे वैकुंठ जाते हैं।
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Jyoti

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