अनमोल वचन: मौन और ध्यान सारी पूजा का सार है
punjabkesari.in Friday, Dec 24, 2021 - 11:17 PM (IST)
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
कभी सोचा भी न था कि ऐसा समय भी आएगा जब एक इंसान दूसरे इंसान से लॉकडाऊन में डरने लगेगा। लॉकडाऊन ऐसा बुरा ख्वाब लगता था जो नींद खुलने पर भी नहीं टूटेगा। बहरहाल वह भी खत्म हो गया है। सोच बदलो, अंधेरे में उजला पक्ष ढूंढो।
मौन और ध्यान सारी पूजा का सार है। व्रतों और प्रार्थना का नाम पूजा नहीं है। चारों ओर फैली अव्यवस्था के बीच हमें अपने भाग्य का निर्माण करना होगा। नहीं तो हमारा जीवन विसंगत घटनाओं का अर्थहीन कर्म बन जाएगा।
हमें दुनिया का सामना करने के लिए खुद को मजबूत बनाना होगा। खुद को गौरवान्वित करें। आज हम खुल कर अपने दिल की बात कर सकते हैं। सोशल मीडिया आम आदमी की आवाज है। हमें महिला सशक्तिकरण के लिए प्रयास करने चाहिएं।
भाग्य से अच्छे कर्म करने का अवसर मिलता है। ईश्वर जिस को मान बख्शते हैं, उससे अच्छे कार्य करवा लेते हैं। दानी तो संसार में एक से बढ़ कर एक बैठे हैं। पूर्व जन्म के पुण्य से भी अच्छे कर्म होते हैं। दान करना शुरू कर दो, भाग्य संवर जाएगा। प्रस्तुति : अमरनाथ भल्ला, लुधियाना
समझदार लड़कियां ससुराल में आकर परिवार को जोड़ती हैं। परिवार को टूटने नहीं देतीं। सास-ससुर की सेवा कर उनसे आशीर्वाद लेती हैं। फिर जीवन में दुख का सामना कभी नहीं करना पड़ेगा। धन, संतान, सुख बना रहेगा। —अनुरुद्धाचार्य
मैंने बचपन में पिता जी की प्लेट में जली हुई रोटियां देखीं जिसके लिए माता जी ने उनसे क्षमा मांगी। पिता जी बोले मुझे तो जली रोटी पसंद है। पिता जी ने कहा कि जली रोटी से किसी का बिगाड़ नहीं होता, व्यक्ति के कहे जले शब्द बहुत कुछ बिगाड़ सकते हैं। —ए.पी.जे. अब्दुल कलाम
संकल्पों के परित्याग से काम को, कामनाओं के त्याग से क्रोध को, संसारी लोग जिसे अर्थ कहते हैं उसे अनर्थ समझकर लोभ को और तत्व के विचार से भय को जीत लेना चाहिए। —देवर्षि नारद
तृष्णा का अंत नहीं, संतोष में परम सुख है इसलिए बुद्धिमान पुरुष संतोष को ही श्रेष्ठ मानते हैं। —महर्षि शौनक