आमलकी एकादशी 2022: इस व्रत कथा के गुणगान से हर काम में मिलगी सफलता

punjabkesari.in Sunday, Mar 13, 2022 - 02:39 PM (IST)

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फाल्गुन माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आमलकी एकादशी व्रत रखा जाता है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु के साथ-साथ आंवले के पेड़ की पूजा का महत्व है। इस बार 14 मार्च यानि कि दिन सोमवार को आमलकी एकादशी का व्रत रखा जाएगा। शास्त्रों में आमलकी एकादशी को लेकर ये भी वर्णन है कि जो भी इस व्रत की कथा व महिमा को जान-सुन भी लेता है उसके सभी काम सफल होते हैं तथा उसे शुभ फलों की प्राप्ति होती है। तो आईए जानते हैं क्या इस व्रत की कथा व महिमा, इससे जुड़ी पौराणिक व्रत कथा के माध्य से। 

आमलकी एकादशी व्रत कथा-
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु की नाभि से ब्रह्मा जी की उत्पत्ति हुई। उत्पन्न होने के बाद ब्रह्मा जी के मन में जिज्ञासा हुई कि वह कौन हैं, उनकी उत्पत्ति कैसे हुई। इस प्रश्न का उत्तर जानने के लिए ब्रह्मा जी परब्रह्म की तपस्या करने लगे। ब्रह्मा जी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु जी ने ब्रह्मा जी को दर्शन दिए। विष्णु जी को सामने देखते ही ब्रह्मा जी की आंखों से आंसुओं की धारा बहने लगी। ब्रह्मा जी के आंसू भगवान विष्णु के चरणों पर गिरने लगे और उनके आंसुओं से आमलकी यानी आंवले का वृक्ष उत्पन्न हुआ। 

भगवान विष्णु ने ब्रह्मा जी से कहा कि आपके आंसुओं से उत्पन्न आंवले का वृक्ष और फल मुझे अति प्रिय रहेगा। जो भी आमलकी एकादशी के दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करेगा उसके सारे पाप समाप्त हो जाएंगे और व्यक्ति मोक्ष प्राप्ति का अधिकार होगा। तभी से आमलकी एकादशी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है साथ ही इस दिन आंवला भगवान विष्णु को अर्पित किया जाता है। इतना ही नहीं इस दिन खुद भी आंवला ग्रहण करना बेहद ही फलदायी होता है। अमालकी एकादशी की कथा के इस संदर्भ में एक राजा की कथा का उल्लेख किया गया है जो पूर्व जन्म में एक शिकारी था। एक बार आमलकी एकादशी के दिन जब सभी लोग मंदिर में एकादशी का व्रत करके भजन और पूजन कर रहे थे तब मंदिर में चोरी के उद्देश्य से वह मंदिर के बाहर छुप कर बैठा रहा। मंदिर में चल रही पूजा अर्चना देखते हुए वह लोगों के जाने का इंतजार कर रहा था। अगले दिन सुबह हो जाने पर शिकारी घर चला गया। इस तरह अनजाने में शिकारी से आमलकी एकादशी का व्रत हो गया। कुछ समय बाद शिकारी की मृत्यु हुई और उसका जन्म राज परिवार में हुआ। यही कारण है कि सभी एकादशियों में जया एकादशी का विशिष्ट महत्व है।

यहां जानिए, आमलकी एकादशी व्रत की महिमा के बारे में-
एकादशी तिथि के महत्व को बताते हुए भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कहा है-''मैं वृक्षों में पीपल एवं तिथियों में एकादशी हूँ''। एकादशी की महिमा के विषय में शास्त्र कहते हैं कि विवेक के समान कोई बंधु नहीं और एकादशी के समान कोई व्रत नहीं। पदम् पुराण के अनुसार परमेश्वर श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को एकादशी तिथि का महत्त्व समझाते हुए कहा है कि बड़े-बड़े यज्ञों से भी मुझे उतनी प्रसन्नता नहीं मिलती जितनी एकादशी व्रत के अनुष्ठान से मिलती है। एकादशी तिथि मनुष्य के लिए कल्याणकारी है। आमलकी एकादशी की बात करें तो आमलकी एकादशी की महिमा को बताते हुए श्री कृष्ण जी कहते हैं कि जो व्यक्ति स्वर्ग और मोक्ष प्राप्ति की कामना रखते हैं इनके लिए ये एकादशी अत्यंत श्रेष्ठ है। जो भी इस दिन आंवले पेड़ की पूजा करता है उसे सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है। 


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Content Writer

Jyoti

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