Ahoi Ashtami 2019: इस व्रत से मिलता है संतान प्राप्ति का वर

punjabkesari.in Sunday, Oct 20, 2019 - 11:10 AM (IST)

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हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह कृष्‍ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी यानि अहोई माता का व्रत रखा जाता है। कहते हैं कि अहोई का अर्थ अनहोनी को होनी बनाना होता है। इस दिन अहोई माता की पूजा की जाती है। ये व्रत महिलाएं अपनी संतानों की लंबी आयु के लिए रखती हैं। लेंकि वहीं कुछ महिलाएं इस व्रत को संतान प्राप्ति के लिए भी करती हैं।
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मान्यता है कि अहोई अष्टमी का व्रत करने से अहोई माता खुश होकर व्रत करने वाली महिला के बच्चो की लंबी उम्र और सलामती का आशीर्वाद देती है। इस दिन निर्जल रहकर माताएं अपने बच्चों के लिए लम्बी आयु का वरदान मांगती हैं। अहोई माता का पूजन करने के लिए महिलाएं तड़के उठकर मंदिर में जाती हैं और वहीं पर पूजा के साथ व्रत प्रारंभ होता है और चंद्र दर्शन के बाद ही खोला जाता है।
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महिलाएं इस दिन सायंकाल भक्ति-भावना के साथ दीवार पर अहोई की पुतली रंग भरकर बनाती हैं। उसी पुतली के पास सेई व सेई के बच्चे भी बनाती हैं। आजकल बाजार से अहोई के बने रंगीन चित्र कागज भी मिलते हैं जिनको लाकर उनकी पूजा की जा सकती है। कुछ महिलाएं पूजा के लिए चांदी की एक अहोई भी बनाती हैं, जिसे स्याऊ कहते हैं और उसमें चांदी के दो मोती डालकर विशेष पूजन किया जाता है।
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तारे निकलने के बाद अहोई माता की पूजा प्रारंभ होती है। पूजन से पहले जमीन को स्वच्छ करके, पूजा का चौक पूरकर, एक लोटे में जलकर उसे कलश की भांति चौकी के एक कोने पर रखते हैं और फिर भक्ति भाव से पूजा करते हैं। साथ ही अहोई अष्टमी की व्रत कथा को श्रद्धा भाव से सुना जाता है। कथा, पूजन और आरती के बाद माता को हलवा, पूड़ी और चने चढ़ाए जाते हैं। कुछ परिवारों में माता को पानी के साथ दूध और कच्चा चावल चढ़ाते हैं। पूजा के दौरान कहते हैं- अहोई जिये, अहोआ जिए। मुंशा जिए, पूता जिए।


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