Sawan 2021: कोई नहीं जान पाया इस मंदिर का रहस्य, कैसे शिवलिंग बदलता है बार-बार रंग

punjabkesari.in Tuesday, Jul 20, 2021 - 04:14 PM (IST)

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हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष श्रावण मास का प्रांरभ 25 जुलाई से हो रहा है, हालांकि जो लोग संक्रांति से व्रत रखते है उन लोगों ने 19 जुलाई सोमवार के दिन से सावन के महीने का प्रारंभ कर लिया है। अधिक रूप से लोग आषाढ़ पूर्णिमा के समापन के बाद ही सावन के महीने का प्लान मानते हैं जो इस बार 25 जुलाई दिन रविवार से हो रहा है। इस पूरे मास में भगवान शंकर की विधिवत रूप से पूजा की जाती है तथा प्रत्येक सोमवार को व्रत रखा जाता है। कहा जाता है कि इस मास में जो अविवाहित लड़कियां विवाहित स्त्रियां व्रत रखती हैं उन्हें उनकी पूजा-अर्चना का व्रत का दोगना फल प्राप्त होता है।

श्रावण के इस पावन माह में देश के लगभग हर शिवालय मंदिर में भगवान शंकर के भक्तों की भीड़ देखने को  मिलती है। आज हम आपको भगवान शंकर के ऐसे ही मंदिर के बारे में बताए जा रहे हैं जो अन्य मंदिरों से काफी भिन्न व अधिक प्रसिद्ध माना जाता है। दरअसल हम बात कर रहे हैं अचलेश्वर महादेव मंदिर की जो राजस्थान के धौलपुर में स्थित है। बताया जाता है कि मध्य प्रदेश राजस्थान की सीमा पर चंबल के बीहड़ों के लिए प्रसिद्ध इलाके में स्थित इस महादेव मंदिर मे स्थापित भगवान शंकर का एक बहुत ही अनूठा शिवलिंग विराजित है। यहां की प्रचलित मान्यताओं के अनुसार यह देश का एकमात्र ऐसा शिवलिंग है जो पूरे दिन में स्वयं तीन बार रंग बदलता है। जी हां सुनने में चाहे अद्भुत लगने वाली यह बात बिल्कुल सत्य है।


यहां के लोगों द्वारा बताया जाता है कि सुबह के समय इस शिवलिंग का रंग लाल होता है दोपहर के समय केसरिया हो जाता है और दिन के ढलते ढलते शिवलिंग का रंग सांवला रात तक यह संपूर्ण रूप से काला हो जाता है। परंतु ऐसा किस वजह से होता है इस बात का रहस्य आज तक कोई जान नहीं पाया है। परंतु यहां के लोगों का मानना है कि यह घटना भगवान शंकर की कृपा से घटित होती है। जिस कारण इस मंदिर में विराजमान इस शिवलिंग के प्रति लोगों की आस्था अधिक है।

इसके अतिरिक्त कहा जाता है कि यहां स्थापित इस शिवलिंग से एक अन्य खास बात जुड़ी हुई है जिसके अनुसार इसके छोर के बारे में आज तक कोई भी नहीं जान सका है।  ऐसी कथाएं है कि बहुत समय पहले एक बार भक्तों ने इसकी गहराई जाने के लिए आसपास के ही खुदाई की थी परंतु इसके बावजूद भी उन्हें शिवलिंग का अंतिम सिरा व जड़ का पता नहीं चला। तब श्रद्धालुओं ने इसे शिव जी का चमत्कार मानकर खुदाई बंद कर दी थी।

माना जाता है कि अति प्राचीन यह मंदिर प्राचीन समय में डाकुओं की क्षेत्र में होने के कारण सालों साल सन्नाटे में रहा  और रास्ता सुलभ ना होने के कारण ही लोग यहां पर नहीं पहुंच पाते थे। परंतु समय के साथ जब मंदिर की प्रसिद्धि सेल्फी गई तो यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का तांता लगना शुरू हो गया। कहा जाता है कि भगवान अचलेश्वर महादेव के दर्शन मात्र से श्रद्धालुओं भक्तों की सभी तरह की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। सावन के महीने में खासतौर पर जहां बड़ी संख्या में लोग दिखाई देते हैं। श्रावण मास में यहां मेले का भी आयोजन होता है परंतु बता दें महामारी के समय में फिलहाल इस पर रोक है हालांकि अनुमान लगाया जा रहा है कि सावन के महीने में इस मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु देखे जा सकते हैं।


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Content Writer

Jagdeep Singh

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