‘ट्रिब्यून फ्लाईओवर की योजना ही गलत है और ये शहर की पहचान को बर्बाद कर देगा’

punjabkesari.in Tuesday, Dec 17, 2019 - 01:15 PM (IST)

चंडीगढ़ (साजन): आर्कीटैक्ट्स ने आज इस बात पर जोर दिया कि चंडीगढ़ से संबंधित सभी फैसले या तो राजनेताओं या नौकरशाहों द्वारा किसी भी प्रोफैशनल की भूमिका या नागरिकों की भागीदारी के बिना ही अपने स्तर पर मनमर्जी से ले लिए जाते हैं। यह शहर के लिए बहुत खतरनाक है और शहर को सुंदर बचाने के लिए इससे बचना चाहिए। इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ आर्कीटैक्ट्स, पंजाब चैप्टर द्वारा सोमवार को चंडीगढ़-पंजाब-हरियाणा आर्कीटैक्ट्स की बैठक आयोजित की गई, जिसमें ये विचार उभर कर सामने आए। इस बैठक में लगभग 50 आर्कीटैक्ट्स ने ‘व्हाट एल्स ट्राईसिटी’ पर चर्चा में भाग लिया। 

 

इस अवसर पर अपनी बात रखते हुए आर्कीटैक्ट सुरिंद्र बाहगा ने कहा कि ‘ट्रिब्यून फ्लाईओवर का कॉन्सैप्ट जिस तरह से तैयार किया गया है, वह शहर की पहचान को बर्बाद कर देगा, जी.एम.सी.एच. में शोर का स्तर बढ़ाएगा, सैक्टर-32 में होने वाली ट्रैफिक की भीड़भाड़ एक के बाद एक अन्य सभी चौराहों तक फैल जाएगी और अंडरग्राऊंड सॢवसेज में गड़बड़ी और पेड़ों आदि को काटना पड़ेगा। इस तरह के अस्थाई समाधान काम नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि शहर में यातायात से संबंधित मुद्दों के लिए एक समग्र समाधान खोजने की तत्काल आवश्यकता है।’

 

एयरोसिटी रोड के दोनों किनारों पर चल रहे कामों की आलोचना की
डा. हरवीन भंडारी, डिप्टी डीन, चितकारा स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटैक्चर ने ट्राइसिटी से संबंधित मुद्दों पर ध्यान देने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। प्रैक्टिसिंग आर्कीटैक्ट पी.पी.एस. आहलूवालिया ने मोहाली के बारे में बताया। आहलूवालिया ने एयरोसिटी रोड के दोनों किनारों पर चल रहे कामों की आलोचना की। 

 

हर किलोमीटर के बाद ट्रैफिक लाइट यातायात के मुक्त प्रवाह में प्रमुख बाधा है। अतिक्रमण या धार्मिक स्थानों को समायोजित करने के लिए सड़कों को कई स्थानों पर गैर जरूरी बदलाव किए जाते हैं। मास्टर प्लान भविष्य नहीं है, भूमिगत जल के उच्चस्तर की समस्याएं, उद्योग पर कम ध्यान, प्रवास आदि कई अन्य चुनौतियां भी बनी हुई हैं।

 

1966 से पहले के चंडीगढ़ की स्थिति को बहाल हो
प्रोफैसर दीपिका गांधी, निदेशक, ली कार्बूजिए सैंटर ने भी चंडीगढ़ के विभिन्न मुद्दों को उठाया। प्रो. गांधी ने चंडीगढ़ के बारे में अधिक से अधिक जानकारी का प्रसार करने, नागरिकों और शहर की विरासत के बारे में निर्णय लेने वालों के बारे में बात करने की आवश्यकता के बारे में बात की। 

 

उन्होंने विशेष रूप से शहर के विभिन्न पहलुओं में युवा पीढ़ी को शामिल करने के लिए और सामान्य रूप से शहरीकरण के मुद्दों पर अधिक सक्रिय कदम उठाए जाने की जरूरत पर भी जोर दिया। एस.एस. सेखों, पूर्व चीफ आर्किटैक्ट, पंजाब ने कहा कि 1966 से पहले के चंडीगढ़ की स्थिति को बहाल किया जाना चाहिए।

 

फायदे व नुक्सान को इग्नोर कर बना दिया अंडरपास
रोज गार्डन और सैक्टर-17 के बीच गैर-जरूरी अंडरपास भी बिना इसके लाभ और नुकसान पर विचार किए बिना बनाया गया है। शहर के बिजनैस हब की पहचान को सैक्टर-17 को नए रंगरूप में पेश करने के नाम पर बर्बाद किया जा रहा है। विभिन्न प्रशासनिक इमारतों को अपने स्वयं के बायलॉज के खिलाफ प्रस्तुत किया जाता है। 

 

बिना किसी अध्ययन या आंकड़ों के ली कार्बूजिए के कॉन्सैप्ट के खिलाफ मध्य मार्ग और कुछ अन्य सड़कों पर बदसूरत दिखने वाली रेङ्क्षलग लगाई जा रही है। एकत्र हुए आर्कीटैक्ट्स ने चंडीगढ़ प्रशासन के सैक्टर-17 के ओवर-ब्रिज और सैक्टर-17 चंडीगढ़ में भूमिगत पार्किंग के निर्माण में चंडीगढ़ नगर निगम की भूमिका के निर्माण के निर्णय की खुलकर सराहना की।

 

चीफ इंजीनियर के बयान की निंदा
आर्कीटैक्ट्स ने चंडीगढ़ के चीफ इंजीनियर के उस बयान की कड़ी निंदा की कि जिसमें उन्होंने कहा कि ली कार्बूजिए ने कंक्रीट का उपयोग करके एक बड़ी गलती की और चंडीगढ़ की बिल्डिंग्स को न्यूड छोड़ दिया। सभी ऐतिहासिक इमारतों का आॢकटैक्चर न्यूड है, या तो ब्रिक, स्टोन या कंक्रीट के आउटलुक में तैयार की गई हैं। मुकेश आनंद को लगता है कि इनकी मरम्मत करना मुश्किल है क्योंकि वह इसके लिए प्रशिक्षित नहीं हैं। 

 

इसका मतलब यह नहीं है कि कार्बूजिए गलती कर रहे थे। यदि कैपिटल कॉम्प्लैक्स के लिए कंक्रीट का उपयोग करना गलत था, तो चंडीगढ़ प्रशासन की प्रमुख परियोजनाएं अब भी एक ही मैटेरियल में क्यों बनाई जा रही हैं। उदाहरण के लिए, जी.एम.सी.एच. सैक्टर-32, सैक्टर-42 में हॉकी स्टेडियम और वर्तमान में न्यू यू.टी. सचिवालय का निर्माण भी उसी तरह से किया गया है। 

 

ली कार्बूजिए ने राऊंड अबाऊट्स की 4 चरणबद्ध विकास योजना दी
ली कार्बूजिए ने राऊंडअबाउट्स की चार चरणबद्ध विकास योजना दी, जो भीड़ से बचने के लिए तीन स्तरों पर यातायात की सुविधा प्रदान करती है। इस पर दोबारा से विचार किया जाना चाहिए और उस योजना को उसी आधार पर लागू किया जाना चाहिए। 

 

बड़ी बसों और मिनी बसों के फ्लीट से शहर के यातायात के मुद्दों को काफी हद तक हल किया जा सकता है। शहर के आसपास से गुजरने वाले पड़ोसी राज्यों के अवांछित ट्रैफिक को शहर के चारों ओर रिंग रोड होकर बाईपास किया जा सकता है।

 

दो और लेजर वैली विकसित करने की सलाह दी
आर्किटेक्ट्स ने चंडीगढ़ में सुखना चो और पटियाला की राव की नदियों के किनारे दो और लेजर वैली को विकसित करने की सलाह दी। मौजूदा परिस्थितियों में, राजेंद्र पार्क से सुखना लेक तक कैपिटल कॉम्पलैक्स की पूरी बैल्ट को प्रतिष्ठित लैंडस्केप आर्किटैक्ट के मार्गदर्शन में लैंडस्केपिंग की जरूरत है। इस अवसर पर संबोधन करने वाले अन्य लोगों में हेम राज यादव, चीफ आर्किटैक्ट हुडा, ए.के. गुप्ता, उद्योगपति के साथ ही नीलम गुप्ता, संजीव गुप्ता और वी.के. झा भी प्रमुख तौर पर शामिल थे। 

 


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pooja verma

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