भारत में सबसे ज्यादा नैतिक तम्बाकू नियंत्रण के प्रयास

punjabkesari.in Saturday, Jun 12, 2021 - 12:05 AM (IST)

चंडीगढ़। तम्बाकू का समाधान करने के प्रयास दो अलग अलग शिविरों में विभाजित हैं। पहला व्यवहारिक है और अच्छे जन स्वास्थ्य की स्थापित विधियों पर आधारित है। अन्य उत्पादों एवं व्यवहारों के सफल प्रयासों की भांति ही यह जोखिमों को कम करने के लिए व्यवहारिक उपायों पर केंद्रित है। तम्बाकू के मामले में इसमें अपार संभावना है क्योंकि आभासी रूप से पूरा जोखिम लोगों द्वारा तलाशी जाने वाली निकोटिन के मुकाबले इसके इस्तेमाल के तरीके के कारण है। दूसरा दृष्टिकोण प्रकृति में नैतिक है, यानि तम्बाकू या निकोटिन के इस्तेमाल को पाप मानना और सभी को एक समान बुरा मानना।

 

दुखद बात यह है कि भारत में तम्बाकू नियंत्रण के प्रयासों ने नैतिकता का प्रारूप अपनाया है। नई प्रौद्योगिकियां, जो स्थापित उत्पादों के मुकाबले बहुत कम जोखिम वाली हैं, उन पर प्रतिबंध लगाना ज्यादा आसान है क्योंकि उनके समर्थकों का राजनैतिक दबदबा काफी कम है, इसलिए स्वास्थ्य के आधार पर उचित ठहराई जाने वाली नीतियां अनावश्यक रूप से घातक उत्पादों के लिए स्थापित बाजार की रक्षा करती हैं। परिणामस्वरूप बीमारी एवं मृत्यु की दर जितनी होने चाहिए, उसके मुकाबले काफी ज्यादा बनी रहेगी। यह ठीक वैसा ही है, जैसा यह भविष्य न देखने, कि लोग ज्यादा खतरनाक विकल्पों का इस्तेमाल करते रहेंगे, पर सैनिटरी फूड स्टफ, वाटर प्योरिफिकेशन सिस्टम या खाना पकाने के लिए खुले में आग जलाने की विकल्प प्रस्तुत न करने देने पर होता है। जो संयमित एवं नैतिकतावादी है, उनके दृष्टिकोण से सिगरेट के मुकाबले कम जोखिम वाले विकल्पों पर प्रतिबंध लगाना उनकी विजय है। लेकिन जन स्वास्थ्य की दृष्टि से यह विनाशकारी है।

 

डेविड टी. स्वेनर जे. डी., सलाहकार बोर्ड के अध्यक्ष, स्वास्थ्य कानून, नीति एवं नैतिकता केंद्र, ओटावा विश्वविद्यालय ने कहा “कोविड-19 ने सरकारों एवं जन स्वास्थ्य अधिकारियों पर जनता के भरोसे के महत्व पर बल दिया है। इसके लिए एक खुली, सत्य, जोखिम एवं जोखिम नियंत्रण के तरीकों पर वार्ता की जरूरत है।

 

तम्बाकू और निकोटीन पर जो कार्यवाही, जैसे बड़ी संख्या में लोगों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले उत्पादों के कम जोखिम वाले विकल्पों पर जो प्रतिबंध लगाने की कार्यवाही इस मानक को पूरा नहीं करती, उससे सरकार एवं जन स्वास्थ्य अधिकारियों में भरोसा खत्म होने का जोखिम होता है। यह उन लोगों के लिए एक त्रासदी है, जो निकोटीन का इस्तेमाल करते हैं और साथ ही अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के प्रभावशाली प्रबंधन के मार्ग में एक बाधा भी है।


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News Editor

ashwani

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