मोबाइल कंपनी ने बिना अनुमति के लगाए विज्ञापन और की मोबाइल की लॉन्चिंग

punjabkesari.in Friday, Apr 21, 2017 - 10:48 AM (IST)

चंडीगढ़(राय) : चंडीगढ़ नगर निगम शहर में अवैध विज्ञापन लगाने वालों के प्रति गंभीर नहीं है। समय-समय पर शहर में अनेक कंपनियां निगम से अनुमति लिए बिना अवैध रूप से विज्ञापन लगा लेती हैं, जिस पर निगम का कोई बस नहीं है। ऐसा ही एक और मामला सामने आया है। सैक्टर-22सी में एक मोबाइल कंपनी ने नगर निगम से अनुमति लिए बिना अवैध रूप से विज्ञापन लगाए और मोबाइल की लॉन्चिंग भी की। 

 

इंफोर्समैंट सब-इंस्पैक्टरों की यहां ड्यूटी लगी हुई है फिर भी उन्होंने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की। इस मोबाइल कंपनी की ओर से न केवल अवैध विज्ञापन लगाए गए, बल्कि साऊंड सिस्टम लगाकर मोबाइल का प्रोमोशन भी किया। इस मामले की जानकारी क्षेत्रीय पार्षद रविकांत शर्मा को भी थी लेकिन उन्होंने भी इसे रुकवाने या उन पर कोई कार्रवाई करवाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई।  

 

निगम की ओर से केवल इसी मामले में लापरवाही नहीं बरती गई, बल्कि इससे पूर्व कुछ समय पहले ही सैक्टर-42 में स्थित हॉकी स्टेडियम में भी इंडियन हॉकी लीग के मैचों क दौरान आयोजकों ने निगम की अनुमति के बिना यहां लाखों के अवैध बैनर लगा दिए थे। समाचार पत्रों में इसकी जानकारी दिए जाने के बाद निगम जागा था और आयोजकों को अब जाकर निगम ने नोटिस थमाया है।     

 

पिछले दो वर्षों में केवल दिए नोटिस :
ऐसे मामलों में निगम ने पिछले 2 वर्षों में करीब 1300 नोटिस दिए हैं पर इनसे जुर्माना राशि की एवज में मिलने वाले लगभग 12 करोड़ रुपए वसूल नहीं पाया। यहां तक कि पंजाब भाजपा को तो अभी तक अवैध रूप से पोस्टर व बैनर लगाने का 1.8 करोड़ का नोटिस तक नहीं दिया है। निगम सैक्टर-17 में तो कभी-कभी निर्धारित आकार से बड़े बोर्ड लगाने के मामले में कार्रवाई तो करता है पर शहर की अन्य मार्कीटों में इस संबंध में कभी कार्रवाई नहीं करता। 

 

शहर की विभिन्न मार्कीटों में ढाबों, रैस्तरां व दुकानों पर लगे बोर्ड चंडीगढ़ में लागू विज्ञापन नियंत्रण एक्ट के अनुरूप नहीं हैं। विशेषकर सैक्टर-28 से 19 तक, सैक्टर-35, 34, 22 आदि में तो दुकानों व अन्य व्यावसायिक स्थलों के बाहर लगे बोर्ड एक्ट द्वारा निर्धारित आकार से कहीं बड़े हैं पर निगम द्वारा वहां कभी कार्रवाई नहीं की गई। निगम में उपलब्ध गत 5 वर्ष के आंकड़े भी देखें तो नोटिस के अलावा निगम कोई कार्रवाई नहीं कर पाया। या सैक्टर-17 में दुकानों के बाहर लगे बोर्ड कभी-कभी उतारे गए। 

 

उल्लेखनीय है कि विज्ञापन नियंत्रण एक्ट 1954 के तहत निगम अवैध विज्ञापन सामग्री को जब्त कर सकता है व चालान करने के लिए सशक्त है। चंडीगढ़ विज्ञापन नियंत्रण आदेश, 1954, जो 2008 में संशोधन किया गया था, के अनुसार शहर में विज्ञापन निगम की अनुमति के बिना प्रदर्शित नहीं किया जा सकता है। 

 

निगम सूत्रों के अनुसार शहर में लागू विज्ञापन नियंत्रण एक्ट को इम्पलीमैंट तो निगम करता है पर इसका नियंत्रण प्रशासन के वित्त सचिव करते हैं। बताया जाता है कि कई बार तो निगम जो जुर्माना लगाता है उसे प्रशासन माफ कर देता है। निगम द्वारा लगाए जुर्माने के विरुद्ध अपील भी प्रशासन के वित्त सचिव के पास होती है। निगम के इंफोर्समैंट स्टाफ का भी कहना है कि अधिकारियों के निर्देशों पर वह कार्रवाई तो करते हैं पर बिना दांत के कानूनों के उनकी मेहनत विफल ही जाती है। 
 


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