‘चंडीगढ़ में फ्लोर वाइज बिके मकानों की रजिस्ट्रियों की होगी जांच’

punjabkesari.in Wednesday, Jul 28, 2021 - 12:48 AM (IST)

चंडीगढ़, (रमेश हांडा): पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने अपार्टमैंट एक्ट और फ्लोर वाइज हुई रजिस्ट्रियों का सैंपल सर्वे करने के आदेश दिए हैं। सैंपल सर्वे चीफ आर्कीटैक्ट की देखरेख में होगा जिसकी 2 सप्ताह के भीतर रिपोर्ट हाईकोर्ट में देनी होगी। उक्त आदेश सैक्टर-10 की रैजीडैंट वैल्फेयर एसोसिएशन की ओर से दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों पर हो रही सुनवाई के दौरान जारी किए गए हैं। याचिका में मांग की गई है कि चंडीगढ़ में अपार्टमैंट एक्ट को मंजूरी दी जाए और फ्लोर वाइज रजिस्ट्रियां शुरू की जाएं। कोर्ट ने आदेश दिए हैं कि सैंपल सर्वे के दौरान वर्ष 2016 से लेकर 31 दिसम्बर 2019 तक चंडीगढ़ फ्लोर वाइज हुई रजिस्ट्रियों और बिल्डिंग प्लान की एस्टेट ऑफिस के रिकॉर्ड में जांच की जाए और पता किया जाए कि फ्लोर वाइज रजिस्ट्री शेयर होल्डर की मार्फत हुई है या नहीं। कोर्ट ने कहा है कि अगर मौके पर जाकर फिजीकल इंस्पैक्शन भी करनी पड़े तो की जाए, ताकि जांच में कोई संशयन रहे।


प्रशासन ने कहा-तो शहर का स्वरूप बदल जाएगा
चंडीगढ़ प्रशासन ने अपार्टमैंट एक्ट और फ्लोर वाइज बिल्डिंग प्लान को लेकर विस्तृत जानकारी एफीडैविट के माध्यम से हाईकोर्ट में दाखिल की थी, जिसमें प्रशासन ने कहा था कि जो जवाब फरवरी 2020 में यू.टी. के सीनियर स्टैंङ्क्षडग काऊंसिल ने दाखिल किया था, प्रशासन आज भी उसी पर अडिग है। कोर्ट को बताया गया है कि याचिकाकत्र्ताओं ने सैक्टर-10 में और दक्षिणी सैक्टरों में बिल्डर लॉबी से मिल गैर-कानूनी अपार्टमैंट्स का निर्माण किया है और अब रजिस्ट्रियां करने की मांग कर रहे हैं, जिसका कैपिटल एक्ट 1952 और मास्टर प्लान 2031 में भी कहीं जिक्र नहीं है, अगर चंडीगढ़ में रिहायशी प्लॉट्स में अपार्टमैंट बनाने की अनुमति दी गई तो शहर का स्वरूप बदल जाएगा।

जवाब में बताया गया था कि चंडीगढ़ में लोगों को प्लॉट रहने के लिए घर बनाने को दिए गए थे और प्रावधान था कि परिवार बढऩे की सूरत में तीन मंजिल तक बनाई जा सकती है लेकिन लोगों ने अपार्टमैंट बनाकर बेचने शुरू कर दिए हैं जिसकी अनुमति प्रशासन ने कभी दी ही नहीं न ही कभी फ्लोर वाइज रजिस्ट्री या अपार्टमैंट प्लान को अप्रूवल ही दी गई है।


4 माह में करना है मामले का निपटारा
जवाब में बताया गया कि कैपिटल एक्ट 1952 में इंडियन कांट्रैक्ट एक्ट व ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट में यह प्रावधान जरूर है कि अगर पिता या मालिक घर को परिवार के 3 सदस्यों को बराबर या शेयर के आधार पर देता है तो शेयर होल्डर को अपना शेयर बेचने का अधिकार है, जिसकी रजिस्ट्री भी की जाती है। हाईकोर्ट ने प्रशासन के जवाब को रिकॉर्ड में ले लिया है और मामले की सुनवाई अब सोमवार से हर रोज हो रही है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने 4 माह में मामले का निपटारा करने के आदेश हाईकोर्ट को दिए हुए हैं, जो कि सितम्बर 2021 में पूरे हो जाएंगे। प्रशासन ने गत वर्ष फरवरी में हुई मामले की सुनवाई के समय कोर्ट में जवाब दाखिल करते हुए बताया था कि चंडीगढ़ में रैजीडैंस प्रॉपर्टी की फ्लोर वाइज रजिस्ट्री नहीं हो सकती, जबकि याची पक्ष ने कोर्ट के समक्ष सबूत रखे कि चंडीगढ़ में फ्लोर वाइज रजिस्ट्रियां होती रही है जिसके बाद कोर्ट ने विस्तृत जवाब मांगा था।  


प्रशासन के जवाब को गुमराह करने वाला बताया 
सैक्टर-10 की रैजीडैंट्स वैल्फेयर एसोसिएशन ने दाखिल याचिका में कोर्ट से मांग की है कि चंडीगढ़ में देश में अन्य स्थानों की तरह फ्लोर वाइज बिल्डिंग प्लान की अप्रूवल दी जाए ताकि जमीन का मालिक फ्लोर वाइज अपार्टमैंट बेच सकें। याची पक्ष ने चंडीगढ़ प्रशासन के जवाब को गुमराह करने वाला बताया था और एस्टेट ऑफिस के रिकॉर्ड की जांच करवाने की मांग उठाई थी ताकि फ्लोर वाइज बिके घरों का सच सामने आ सके जिस पर कोर्ट ने उक्त आदेश जारी किए हैं। मामले की सुनवाई अब 11 अगस्त को होगी।


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News Editor

ashwani

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