प्रशासन ने जैनेटिक सैंटर में एक्सपायरी किट्स इस्तेमाल मामले में मांगा रिकार्ड

punjabkesari.in Tuesday, Dec 21, 2021 - 02:23 PM (IST)

चंडीगढ़, (अर्चना सेठी): चंडीगढ़ प्रशासन के हैल्थ सैक्रेटरी ने गवर्नमैंट मैडीकल कालेज एंड हॉस्पिटल (जी.एम.सी.एच.-32) के जैनेटिक सैंटर में एक्सपायर्ड किट्स के साथ टैस्ट किए जाने के मामले में अस्पताल प्रबंधन से रिकार्ड मांगा है। एक्सपायरी किट्स से किए गए टैस्ट का कुछ रिकार्ड जी.एम.सी.एच. प्रबंधन ने प्रशासन को सौंप दिया है और बाकी का रिकार्ड जल्द सौंपने की बात कही है। प्रशासन की सख्ती को देखते हुए उधर, अस्पताल प्रबंधन ने सैंटर की कंसल्टैंट लैब सर्विसेज से सात दिनों के अंदर जवाब मांगा है। 
प्रबंधन ने सैंटर की अधिकारी से पूछा है कि एक्सपायरी किट्स के इस्तेमाल में उनके साथ स्टाफ का कौन-कौन सा अधिकारी और कर्मचारी शामिल थे। संबंधित अधिकारी से पूछा है कि प्रबंधन की जानकारी में आया है कि सैंटर में वर्ष, 2016 से एक्सपायर्ड किट्स के साथ गर्भवत्ती महिलाओं के टैस्ट किए जा रहे थे। यह बहुत ही गंभीर मामला है, क्योंकि इसका सीधा असर पेशैंट केयर पर पड़ता है। 


प्रबंधन ने अधिकारी से कहा है कि वह इस मामले में जानकारी प्रदान करें कि सैंटर में ऐसा क्यों किया जा रहा था? यह भी बताएं कि डबल मार्कर व ट्रिपल टैस्ट के अलावा जैनेटिक सैंटर में बाकी जो भी टैस्ट किए जा रहे थे, क्या उनमें भी एक्सपायरी किट्स का इस्तेमाल किया जा रहा था। 
प्रबंधन ने अधिकारी को इस मामले में स्पष्टीकरण देने को कहा है और यह भी साफ किया है कि अगर अधिकारी इस मामले में अपना जवाब नहीं देते हैं तो मान लिया जाएगा कि प्रबंधन को सैंटर में एक्सपायरी किट्स से टैस्ट किए जाने के जो भी आंकड़े मिले हैं वह सत्य हैं।


काबिले गौर है कि जैनेटिक सैंटर में गर्भवत्ती महिलाओं के टैस्ट किए जाने के अलावा नवजात शिशुओं में भी जींस से संबंधित विकारों की पहचान के लिए टैस्ट किए जाते हैं। नवजात शिशुओं के जन्म के बाद 24 से 48 घंटों के अंदर पैर की एड़ी से खून की दो तीन बूंदे लेकर टैस्ट किए जाते हैं। थायरोएड, मानसिक विकलांगता, दिमागी बीमारी, बच्चे में क्रोमोसॉम की असामान्य सं या जैसे कई रोग जैनेटिक टैस्ट से देखे जाते हैं। 


अब संशय उत्पन्न हो गया है कि क्या उन मासूमों के टैस्ट भी एक्सपायर किट्स के साथ किए गए?
जल्द पता चल जाएगा दोषी कौन और मंशा क्या थी ?
जी.एम.सी.एच.-32 के एक अधिकारी ने नाम ना लिखे जाने की शर्त पर कहा कि जैनेटिक सैंटर में एक्सपायरी किट्स के इस्तेमाल को प्रबंधन गंभीरता से ले रहा है, क्योंकि इन किट्स का इस्तेमाल जींस से संबंधित विकारों की पहचान के लिए किया जाता है और अगर किट्स ही ठीक नहीं होगी तो डाक्टर्स बीमारी को कैसे पकड़ सकेंगे? अधिकारी ने कहा कि अगर एक्सपायरी किट्स का इस्तेमाल जानबूझकर किया गया है तो यकीनन उस आंकड़े को भी छिपाने की कोशिश की गई होगी कि जिससे पता चल सके कि ट्रिपल और डबल मार्कर टैस्ट के नतीजे और नैगेटिव रिपोर्ट के बावजूद कितने बच्चों ने विकार के साथ जन्म लिया। अस्पताल सारे आंकड़ों को जांचने की कोशिश कर रहा है और जल्द ही यह साफ हो जाएगा कि सैंटर में गर्भवत्ती महिलाओं और नवजातों का दोषी कौन था और अधिकारी की मंशा और किस तरह के फायदे थे।

 

एंटी करप्शन फ्रंट करता रहा है सैंटर की गड़बडिय़ों की शिकायत
उधर, एंटी करप्शन फ्रंट के कन्वीनर वी.बी.खन्ना ने ‘पंजाब केसरी’ में प्रकाशित समाचार जी.एम.सी.एच.-32 में गर्भस्थ शिशुओं के जीवन से किया जा रहा खिलवाड़ पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह पिछले कई सालों से जैनेटिक सैंटर में चलने वाली गड़बडिय़ों को लेकर शिकायत देते आए हैं। सैंटर के लिए महंगे दामों में ऐसी मशीनों की खरीददारी की गई जिनता बाद में इस्तेमाल भी नहीं किया गया। अब यह एक्सपायरी किट्स का जो मामला है उसने उन गरीब लोगों के होश उड़ा दिए हैं जिन्होंने टैस्ट के लिए दाम भी दिए और उन्हें नतीजे सिफर मिले। एक्सपायर्ड किट्स का इस्तेमाल करने वाले अधिकारियों के खिलाफ स त कार्रवाई की जानी चाहिए।


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News Editor

Archna Sethi

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