न ब्रश न उंगलियों से भरते हैं रंग, कुछ इस तरह अलग है इनका आर्ट, पहुंचे यहाँ

punjabkesari.in Saturday, Jan 13, 2018 - 09:31 AM (IST)

चंडीगढ़(पाल) : इस शहर में मैंने ऑर्ट को विकसित होते देखा है और पहले के मुकाबले अब शहर में काफी आर्ट लवर हैं। यह कहना है ऑर्टिस्ट प्रदीप वर्मा का सैक्टर-36 एलयांस फ्रांसिस में उनकी सोलो एग्जीबिशन एक हफ्ते तक डिस्पले होगी। 

 

प्रदीप के मुताबिक ऑर्टिस्ट तो काम अच्छा कर ही रहे हैं लेकिन अब लोगों का भी काफी रूझान एग्जिीबिशन में देखने को मिलता है। हालांकि इतना सब होने के बाद भी मुझे लगता है कि दिल्ली और कोलकाता में जिस तरह से ऑर्ट प्रोमोट होती है उसे उस मुकाम तक ले जाने में अभी चंडीगढ़ को थोड़ा वक्त लगेगा। 

 

प्रदीप के मुताबिक अच्छा लगता है जब यंग टैलेंट को ऑर्ट फॉर्म में अच्छा काम करते देखता हूं। उन्होंने बताया कि बैंक से रिटायमैंट लेने के बाद व स्पोर्ट्स कुछ साल तक रुटीन रही। हालांकि जब स्पोर्ट्स छोड़ा तो लगा कि लाइफ में कुछ कमी है। शायद यह कमी रंगों की थी। प्रदीप ने बताया कि ऑर्ट लवर के लिए यह एग्जीबिशन इस लिहाज से भी खास है क्योंकि जो ऑर्ट वर्क यहां डिस्पले हो रहा है वह शहर में न के बराबर देखने को मिलता है। 

 

न ब्रश न उंगलियों से भरते हैं रंग :
शहर में जो ऑर्टिस्ट काम करते हैं वह मॉर्डन ऑर्ट ही डिस्पले करते हैं। इसमें एक्रेलिक और मिक्स मीडिया का यूज देखा जाता है, लेकिन प्रदीप काफी साल से एब्सट्रैक्ट ऑर्ट पर काम कर रहे हैं। इनकी पेंटिंग्स इसलिए भी खास हैं क्योंकि इनमें न तो ब्रश से रंग भरे जाते हैं न ही उंगलियों से। बल्कि इस ऑर्ट में पेपर से पेंटिंग्स को तैयार किया जाता है। 15 डिग्री तापमान पर इन्हें लेयर पैर्टन से टैक्सचर पर क्रिएट किया जाता था। 

 

स्ट्रैंथ व एनर्जी देता है काम :
आज लोगों में काफी नैगेटिव एनर्जी है। दिमाग में हर दम कुछ न कुछ चलता रहता है। एक ऑर्टिस्ट तब संतुष्ट होता है जब ऑर्ट लवर आपकी पेंटिंग को देखते ही उसमें खो जाए। उसकी सारी एनर्जी और फोकस पेटिंग देखने में ही चला जाए। मैं खुद को खुश किस्मत मानता हूं कि लोगों को मेरा काम अट्रैक्ट करता है। 
 


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