अब बच्चो को इस दिन नहीं उठाना पड़ेगा भरी बैग

punjabkesari.in Tuesday, Oct 15, 2019 - 12:17 PM (IST)

चंडीगढ़ (वैभव): शहर में शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के लिए यू.टी. एजुकेशन डिपार्टमैंट ने फैसला लिया कि हर शनिवार को स्कूलों में ‘नो स्कूल बैग डे’ मनाया जाएगा। विभाग में गत बुधवार को इस संबंध में मीटिंग की थी। स्कूलों में एक दिन ‘नो स्कूल बैग-डे’ विभाग का सराहनीय कदम है लेकिन बच्चों के वचनी बैग्स को कम करने के लिए ठोस कदम उठाने जरूरत है। 

 

वजनी बैग्स से बच्चों के विकास में असर पड़ रहा है। यह आंकड़े हाल ही में हुए एक अध्ययन में सामने आया है। बता दें कि शहर के सरकारी स्कूलों में आने वाले 6वीं क्लास से 12वीं क्लास के बच्चों को भारी भरकम बैग्स लेकर जाना पड़ता है। शोध में सामने आया था कि शहर में 75 में से 65.3 प्रतिशत छात्र अपने शरीर के वजन का 11-20 प्रतिशत अधिक स्कूल बैग का वजन रखते है। वहीं 10.7 प्रतिशत छात्र अपने शरीर के वजन से 20 प्रतिशत बैग का वजन रखते हैं। 

 

इस शोध के बाद शिक्षा विभाग की जमकर फजीहत हुई थी, बावजूद विभाग इससे कोई सीख नहीं ली। शहर के स्कूलों में 5वीं क्लास से ही भारी भरकम बैग लाने का सिलसिला शुरू हो जाता है। शोध में शामिल डॉ. वी.एस. गोगिया ने कहा था कि बैग ले जाना स्कूली बच्चों के लिए एक दैनिक गतिविधि है। इसे कम किया जा सकता है और बच्चों को बोझ भी नहीं पड़ेगा। 

 

यहां किताबों का विरोध नहीं किया जा रहा है लेकिन जो बच्चों पर वजनी बैग लादा जा रहा है वह उनके लिए किसी मुसीबत से कम नहीं। भारी बैग उठाने से बच्चों को कंधों और पीठ में दर्द जैसी समस्याएं हो सकती हंै। बच्चों में सबसे अधिक प्रचलित मस्कुलोस्केलेटल असुविधा कंधे में दर्द (17.3  प्रतिशत) थी। 


 

एन.सी.ई.आर.टी. के दिशा-निर्देशों की हो रही अनदेखी
एन.सी.ई.आर.टी. के दिशा-निर्देशों के अनुसार एक स्कूल बैग बच्चों के शरीर के वजन का 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए लेकिन शहर में शहर के स्कूलों में यह निर्देशों की पालना नहीं की जा रही है। अध्ययन में 30.7 प्रतिशत छात्रों ने शिकायत की कि उनका स्कूल बैग भारी था और 17.3 प्रतिशत ने इसे सामान्य से हल्का पाया। 70.7 प्रतिशत छात्रों ने दोनों कंधों पर बैग कैरी किया था, जिसमें तीन प्रकार के बैग के साथ उनकी शैली और स्वास्थ्य प्रभाव भी शामिल थे, दोनों कंधे पर बैग ले जाने वाले 64.2 प्रतिशत बच्चों को कोई दर्द नहीं था।

 

पीसा परीक्षा में मिलेगा ‘नो स्कूल बैग डे’ का फायदा
शिक्षा सचिव बी.एल. शर्मा ने कहा कि स्कूलों में ‘नो स्कूल बैग डे’ मनाने के फैसले से वर्ष 2021 में होने वाली पीसा परीक्षा में इसका फायदा स्टूडैंट्स को मिलेगा। इसके अलावा शिक्षा सचिव का मानना है कि इससे स्टूडैंट्स की शिक्षा की गुणवत्ता भी सुधरेगी। इसके अलावा हफ्ते में एक दिन 6वीं से 10वीं कक्षा के स्टूडैंट्स की एक ज्वाइंट क्लास लगेंगी। हर टीचर को 5-6 स्टूडैंट्स की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी, जो उन बच्चों की परफॉर्मेंस पर नजर रखेंगे।


 

लखनऊ व नई दिल्ली के डॉक्टरों ने किया था अध्ययन
यह अध्ययन लखनऊ और नई दिल्ली स्थित डॉ. आर.एम.एल. इंस्टीच्यूट ऑफ मैडीकल साइंस के डॉक्टरों की टीम ने किया था। एक वर्ष भी शिक्षा विभाग ने इसे गंभीरता से नहीं  लिया है। अध्ययन को डी.आर.एस. दीपक कुमार, वी.एस. गोगिया और जावेद अहमद द्वारा इंटरनैशनल जरनल ऑफ साइंटीफिक रिसर्च में प्रकाशित किया गया है।


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pooja verma

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