एच.ए.यू. वैज्ञानिकों ने पहली बार खोजी बाजरे की नई बीमारी

punjabkesari.in Thursday, Oct 14, 2021 - 10:20 PM (IST)

चंडीगढ़, (बंसल): चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के वैज्ञानिकों ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बाजरे की नई बीमारी व इसके कारक जीवाणु क्लेबसिएला एरोजेंस की खोज की है। अब तक विश्व स्तर पर इस तरह की बाजरे की किसी बीमारी की खोज नहीं की गई है। वैज्ञानिकों ने इस रोग के प्रबंधन के कार्य शुरू कर दिए हैं व जल्द से जल्द आनुवांशिक स्तर पर प्रतिरोध स्त्रोत को खोजने की कोशिश करेंगे। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि वे जल्द ही इस दिशा में भी कामयाब होंगे।

 


एच.ए.यू. के वैज्ञानिक हैं पहले शोधकत्र्ता 
पौधों में नई बीमारी को मान्यता देने वाली अमेरिकन फाइटोपैथोलॉजिकल सोसायटी (ए.पी.एस.), यू.एस.ए. द्वारा प्रकाशित प्रतिष्ठित जर्नल प्लांट डिजीज में वैज्ञानिकों की इस नई बीमारी की रिपोर्ट को प्रथम शोध रिपोर्ट के रूप में जर्नल में स्वीकार कर मान्यता दी है। अमरीकन फाइटोपैथोलॉजिकल सोसायटी (ए.पी.एस.) पौधों की बीमारियों के अध्ययन के लिए सबसे पुराने अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक संगठनों में से एक है जो विशेषत: पौधों की बीमारियों पर विश्वस्तरीय प्रकाशन करती है।

 

विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने बाजरा में स्टेम रोट बीमारी पर शोध रिपोर्ट प्रस्तुत की है जिसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संस्था ने मान्यता प्रदान करते हुए अपने जर्नल में प्रकाशन के लिए स्वीकार किया है। विश्वविद्यालय ने पहली बार खरीफ-2018 में बाजरे में नई तरह की बीमारी दिखाई देने पर वैज्ञानिकों ने तत्परता से काम किया। तीन साल की कठोर मेहनत के बाद वैज्ञानिकों ने इस बीमारी की खोज की है। वर्तमान समय में राज्य के सभी बाजरा उत्पादक जिलों जिसमें मुख्यत: हिसार, भिवानी और रेवाड़ी के खेतों में यह बीमारी 70 प्रतिशत तक देखने को मिली है।
 


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News Editor

AJIT DHANKHAR

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