सलाहकार ने सीएंडडी वेस्ट प्लांट चंडीगढ़ में कास्टिंग यूनिट के स्वचालन की आधारशिला रखी

punjabkesari.in Thursday, Nov 18, 2021 - 12:26 PM (IST)

चंडीगढ़,  (रॉय )।  प्रशासक के सलाहकार, धर्मपाल  ने आज यहां  मेयर रविकांत शर्मा,  कमिश्नर अनिंदिता मित्रा  शक्ति प्रकाश देवशाली, क्षेत्र पार्षद एवं निगम  के अन्य पार्षदों की उपस्थिति में औद्योगिक क्षेत्र फेज-1 में सी एंड डी वेस्ट प्लांट में कास्टिंग यूनिट के स्वचालन की आधारशिला रखी। सभा को संबोधित करते हुए सलाहकार ने कहा कि चंडीगढ़ प्रशासन तीन घटकों यानी क्लीन सिटी, ग्रीन सिटी और स्मार्ट सिटी पर काम कर रहा है और क्लीन सिटी परियोजना के तहत निर्माण और विध्वंस कचरे को वैज्ञानिक रूप से प्रबंधित करना होगा और आवश्यकताओं के अनुसार पुनर्नवीनीकरण किया जाएगा।

सलाहकार ने कहा कि जुलाई माह में प्लांट का दौरा करने के बाद यह महसूस किया गया था कि प्लांट की क्षमता को 150 टीपीडी (टन प्रतिदिन) से बढ़ाना होगा और पड़ोसी शहरों से निर्माण और विध्वंस कचरे को भी इसके रीसाइक्लिंग के बाद प्रसंस्करण और प्रयोग करने योग्य उत्पाद बनाने लिए स्वीकार किया जाएगा।

उन्होंने सीएंडडी वेस्ट प्लांट में ऑटोमेटेड कास्टिंग यूनिट के प्रावधान पर तेजी से काम करने और वेस्ट प्रोसेसिंग की क्षमता बढ़ाने के लिए एमसीसी की टीम की सराहना की। उन्होंने कहा कि निर्मित पीसीसी उत्पादों का उपयोग फुटपाथ, सड़क कार्य, बाड़ लगाने के कार्य आदि में किया जाएगा।

मेयर  रवि कांत शर्मा ने कहा कि प्रसंस्करण संयंत्र 1-1.5 फीट आकार तक के स्टील को छोड़कर सभी सीमेंट, निर्माण विध्वंस कचरे को स्वीकार करता है, जिसे चार प्रकार के निर्माण सामग्री यानी रेत, 10 मिमी बजरी, 20 मिमी बजरी और 40 मिमी बजरी में कुचल और धोकर संसाधित किया जा रहा है।
 
उन्होंने कहा कि पीसीसी कर्ब, पीसीसी चैनल, पीसीसी टाइल्स, पेवर ब्लॉक, सीमेंट कंक्रीट वर्क्स, बोलार्ड आदि सहित सीमेंट कंक्रीट उत्पाद बनाने के लिए इस तरह की सामग्री का उपयोग किया जा रहा है; सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्य अर्थात पीसीसी रोड गली कवर, पीसीसी मैनहोल कवर आदि; बागवानी कार्य अर्थात पीसीसी बेंच, सीसी ट्री और विभिन्न सड़क उप आधार कार्य।

उन्होंने कहा कि इस परियोजना की कुल लागत रु. 162 लाख है जिसमें 5 साल के लिए संयंत्र की रखरखाव लागत भी शामिल है, जो कि 27 लाख रूपए है। इस मशीन की स्थापना के बाद उत्पादन क्षमता 5 गुना बढ़ जाएगी यानी मौजूदा क्षमता 2500-3000 यूनिट प्रतिदिन से बढ़कर 15000 यूनिट प्रतिदिन हो जाएगी। इसके अलावा इन उत्पादों के उत्पादन के लिए श्रमिकों की आवश्यकता भी काफी कम हो जाएगी जिससे संचालन लागत कम हो जाएगी।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

News Editor

Sushil Raj

Recommended News

Related News