ड्रग्स मामले में बिक्रम मजीठिया को हाईकोर्ट ने दी स्थाई जमानत

punjabkesari.in Wednesday, Aug 10, 2022 - 10:00 PM (IST)

चंडीगढ़,(रमेश हांडा) : पंजाब पुलिस द्वारा 6000 करोड़ से भी अधिक के ड्रग्स कारोबार मामले में 20 /21 दिसम्बर 2021 में दर्ज एफ.आई.आर. नंबर 2 में आरोपी बनाए गए बिक्रमजीत सिंह मजीठिया को पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने स्थाई जमानत दे दी है लेकिन उनका पासपोर्ट ट्रायल कोर्ट में जमा रहेगा और अगर उनकी तरफ ने मामले में गवाहों या सबूतों को प्रभावित किए जाने का प्रयास किया जाता है तो पुलिस पुन: कोर्ट में जमानत खारिज करने की अपील दाखिल कर सकती है। जस्टिस रामचंद्र राव और जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर पर आधारित बैंच ने कहा कि जो धाराएं एफ.आई.आर. में जोड़ी गई हैं, उन सभी में प्राथमिक दृष्टि में याची पर लगे आरोप साबित नहीं होते, न ही सरकार इस संबंध में कोई पुख्ता सबूत या गवाह दिखा सकी है जिस आधार में याची को जमानत का अधिकार न दिया जाए।
 

 

तो फिर 8 साल बाद क्यों दर्ज किया केस
कोर्ट ने सवाल उठाया कि जिन लोगों को एफ.आई.आर. में सह आरोपी दिखाया गया है और उनके साथ याची के ड्रग तस्करी और मनी लॉन्ड्रिंग के कोई सबुत भी सरकार पेश नहीं कर पाई। कोर्ट ने सवाल खड़े किए कि बिक्रम मजीठिया कनाडा में रहने वाले ड्रग्स मामले में आरोपियों अमरिंदर सिंह उर्फ लाडी, सतप्रीत सिंह सत्ता व परमिंदर सिंह उर्फ पिंडी से वर्ष 2007 व 2013 में मिला था जोकि पुलिस ने एफ.आई.आर. में भी लिखा है कि उक्त दोनों ड्रग तस्कर याची की शादी में शामिल होने कनाडा से भारत आए थे और बिक्रम मजीठिया के मंत्री रहते हुए उनके सरकारी आवास में ठहरे थे और मजीठिया कि गाड़ी व सिक्योरिटी को लेकर पंजाब में कई जगह गए थे। कोर्ट ने कहा कि उस वक्त तक पिंडी और लाडी ने कोई क्राइम नहीं किया था न ही उन पर कोई अन्य मामला ही दर्ज था। दोनों ही वर्ष 2013 के बाद भारत नहीं आए और न ही याची के साथ किसी भी तरह का कोई संपर्क रखा। ऐसे में याची को उनसे मिलने पर या शादी में बुलाने पर आरोपी नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने सवाल उठाया कि अगर याची आरोपी था तो इस संबंध में मामला 8 वर्ष बाद क्यों दर्ज किया गया जबकि याची उक्त आरोपियों से गुजरे 8 वर्षों में न तो मिला न ही उनके संपर्क में रहा।
 

 

कोई सबूत पेश नहीं कर सकी पुलिस
वर्ष 2014 में भगोड़े घोषित किए जा चुके पिंडी व लाडी को ड्रग्स के लिए कैमीकल सप्लाई करने के आरोप भी पुलिस अपने जवाब में साबित नहीं कर पाई, न ही कोर्ट के समक्ष कोई गवाह या ट्रांजैक्शन दिखा पाई, न ही याची के पास से ड्रग्स या कैमीकल की कोई रिकवरी हुई दिखाई गई। कोर्ट ने सरकार से बड़ा सवाल किया कि अगर याची से इन्वेस्टिगेशन करनी थी तो उसके सरैंडर करने के बाद पुलिस ने उसका रिमांड क्यों नहीं मांगा और अब कैसी इन्वैस्टिगेशन पुलिस करना चाहती है यह भी जवाब में नहीं बता पाई। कोर्ट ने आदेशों में लिखा है कि चूंकि याची के खिलाफ लगे आरोपों में अभी वह दोषी साबित नहीं हुआ है। इसलिए उसे जमानत के संवैधानिक अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। 
 

 

दो बैंच सुनवाई से कर चुकी थी इंकार
इससे पहले मजीठिया की इस याचिका पर हाईकोर्ट की दो बैंच सुनवाई से इंकार कर चुकी थी। पहले जस्टिस ए.जी. मसीह ने खुद को इस केस से अलग करते हुए इसे अन्य बैंच के समक्ष सुनवाई के लिए चीफ जस्टिस को भेज दिया था, जबकि जस्टिस मसीह की बैंच इस याचिका पर बहस पूरी कर चुकी थी और मजीठिया की जमानत पर अपना फैसला भी सुरक्षित रख चुकी थी। इसके बाद याचिका जस्टिस एम.एस. रामचंद्र राव एवं जस्टिस अनूप चितकारा की खंडपीठ में सुनवाई के लिए आई थी। 15 जुलाई को जस्टिस अनूप चितकारा ने खुद को इस केस से अलग कर लिया, जिसके बाद अब चीफ जस्टिस के निर्देश पर इस याचिका जस्टिस एमएस रामचंद्र राव एवं जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर की खंडपीठ ने सुनवाई शुरू की थी।


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News Editor

Ajay Chandigarh

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