TB के मरीज को कैंसर बता 3 बार करवा दी कीमोथैरेपी, सेंटर पर 2 लाख रु. हर्जाना

punjabkesari.in Wednesday, Nov 20, 2019 - 12:05 PM (IST)

चंडीगढ़(राजिंद्र) : शहर के एक प्राइवेट हैल्थ सैंटर ने ट्यूबरक्लॉसिस (टी.बी.) के मरीज को चौथे स्टेज का कैंसर का मरीज बना दिया। वह बुरी तरीके से डर गया। सैंटर की रिपोर्ट के आधार पर तीन बार मरीज की कीमोथैरेपी भी करा दी गई। राहत नहीं मिली तो मरीज ने मुंबई के एक अस्पताल में इलाज कराया। रिपोर्ट्स आई तो पता चला कि मरीज को कैंसर था ही नहीं, उसे तो ट्यूबरक्लॉसिस था। नौ महीने की सामान्य दवाई के बाद वह ठीक भी हो गया। 

PunjabKesari
सैक्टर-22 बी में रहने वाले विजय रमोला ने सैक्टर-32 स्थित गवर्नमैंट मैडीकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल और सैक्टर-44 सी स्थित स्पायरल सी.टी. और एम.आर.आई. सैंटर के खिलाफ  उपभोक्ता फोरम में शिकायत दी। फोरम ने स्पाइरल सी.टी. और एम.आर.आई. सैंटर को शिकायतकर्ता को 2 लाख रुपए मुआवजा के रूप में देने के आदेश दिए। साथ ही मुकदमे के खर्च के एवज में भी 15 हजार रुपए अदा करने को कहा है। इन आदेशों की पालना 30 दिन के अंदर करनी होगी, नहीं तो 12 प्रतिशत ब्याज भी देना पड़ेगा।

15 दिन खांसी होने पर जी.एम.सी.एच.-32 गए थे :
विजय रमोला चंडीगढ़ स्थित स्टेट बैंक ऑफ  पटियाला के मैनेजर रह चुके थे। उन्होंने अपनी शिकायत में बताया कि वर्ष 2014 में करीब 15 दिनों तक उन्हें खांसी की समस्या आई। इसकी वजह से वह जी.एम.सी.एच.-32 गए। डॉक्टरों ने उन्हें छाती का सी.टी. स्कैन कराने की सलाह दी। 

रिपोर्ट में उपभोक्ता के फेफड़ों में लिम्फ नोड्स के नाम लिक्विड में असामान्य वृद्धि पाई गई। इसके बाद पल्मनरी सैक्शन में ट्यूबरक्लॉसिस का पता लगाने के लिए टैस्ट कराए गए। सब कुछ सामान्य पाया गया लेकिन डॉक्टरों ने शिकायतकर्ता को लिम्फ नोड्स के बारे में ब्रोन्कोस्कोपी परीक्षण कराने की सलाह दी गई।

PunjabKesari

सैंटर ने रिपोर्ट में चौथे स्टेज का फेफड़े का कैंसर बताया :
कुछ अन्य परीक्षण के बाद जी.एम.सी.एच.-32 के डॉक्टरों ने शिकायतकर्ता को पेट स्कैन कराने की सलाह दी। इसके लिए शिकायतकर्ता सैक्टर-44 सी स्थित स्पायरल सी.टी. और एम.आर.आई. सैंटर गए। टैस्ट के बाद सैंटर ने रिपोर्ट में कहा कि शिकायतकत्र्ता को चौथे स्टेज का फेफड़े का कैंसर है। इसके बाद कीमोथैरेपी कराने की सलाह दी। 

2 जनवरी, 31 जनवरी और 23 फरवरी 2015 को तीन बार कीमोथैरेपी भी कराई गई लेकिन शिकायतकर्ता को कोई राहत नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने मुंबई के टाटा मैमोरियल अस्पताल गए। वहां कई तरह के टैस्ट लिए गए लेकिन मरीज में चौथे स्टेज का फेफड़े का कैंसर नहीं मिला। इसके बाद शिकायतकर्ता का बायोप्सी परीक्षण किया गया और रिपोर्ट के बाद यह ट्यूबरक्लॉसिस रोग का मामला पाया गया। 9 महीने तक दवाइयां चली और उसके बाद वह बिल्कुल ठीक हो गए।

PunjabKesari

मरीज के मन में मौत का डर भर दिया : फोरम
उपभोक्ता फोरम ने अपने आदेश में कहा कि हैल्थ सैंटर ने मरीज को ऐसा एहसास कराया कि अब उसे दुनिया को अलविदा कह देने का समय आ गया है। उसके अंदर मौत के सजा के डर जितना भय भर दिया। 

स्पाइरल सी.टी. एम.आर.आई. सैंटर ने अपने जवाब में कहा कि उन्होंने सेवा में कोई कोताही नहीं बरती है। हालांकि फोरम ने इस दलील को नहीं माना और दोषी करार दिया। वहीं, फोरम ने पाया कि जी.एम.सी.एच.-32 की तरफ  से कोई लापरवाही नहीं बरती गई इसलिए उनके खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया गया। 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Priyanka rana

Recommended News

Related News