पुलिस के नोटिस से न डरें किसान, यूनियन लड़ेगी केस

punjabkesari.in Saturday, Feb 20, 2021 - 10:32 PM (IST)

चंडीगढ़ (राय): चंडीगढ़ के सैक्टर-25 में शनिवार को हुई किसान महापंचायत में किसान नेताओं ने ऐलान कर दिया कि वे पुलिस के सामने पेश नहीं होंगे। दिल्ली में लाल किला पर हिंसा की घटना के बाद जिन किसानों को पुलिस ने नोटिस जारी कर पेश होने के लिए कहा गया है, वे डरें नहीं। पुलिस की ओर से दिए जा रहे नोटिसों को गंभीरता से न लें। जिन पर भी केस दर्ज हुए हैं, उनके केस संयुक्त किसान मोर्चा लड़ेगा। हरियाणा के किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी) के प्रधान गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने सहित तमाम किसान नेताओं ने महापंचायत में अपने विचार रखे। नौजवान किसान एकता चंडीगढ़ के आह्वान पर किसान महापंचायत का आयोजन किया गया था।  

 


गांव में पुलिसवाले आएं तो पकड़कर बैठा लें, मारपीट न करें
गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने भी सभी किसानों से कहा कि अगर उनके गांव में पुलिस किसी किसान नेता को गिरफ्तार करने आए तो पुलिस कर्मियों को पकड़कर बैैठा लें। उसके साथ मारपीट न करें। उन्हें पूरा सम्मान दें लेकिन तभी छोड़ें जब जिला प्रशासन यह आश्वासन दे कि वे फिर गांव में नहीं आएंगे। किसान नेता रूल्दू सिंह मानसा, जिनके खिलाफ नोटिस जारी हुआ है, के पक्ष में भाकियू उगराहां के प्रधान जोगिंदर सिंह उगराहां ने चंडीगढ़ पुलिस से कहा है कि अगर उनमें हिम्मत है तो गिरफ्तार करके दिखाएं। रूल्दू सिंह मानसा ने कहा कि वह किसी के सामने पेश नहीं होंगे, जिसे गिरफ्तार करना है, कर ले। उन्होंने कहा कि वह 40 साल से किसान संघर्ष में भाग ले रहे हैं लेकिन पुलिस या केस के डर से कभी छिपकर नहीं बैठे। 


भाजपा नेताओं का सामाजिक बहिष्कार करें
गुरनाम सिंह चढ़ूनी व सभी किसान नेताओं ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने तक संघर्ष जारी रखने का आह्वान करते हुए भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का सामाजिक बहिष्कार करने को कहा। उन्होंने कहा कि ये लोग किसानों की बात करने के बजाय कार्पोरेट की बातें कर रहे हैं। उनकी आमदन कैसे बढ़े, उसके लिए कानून बना रहे हैं।

भारतीय किसान यूनियन उगराहां के प्रधान जोगिंदर सिंह उगराहां ने कहा कि गृहमंत्री अमित शाह हों या कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर, सभी इस बात पर राजी हैं कि कृषि कानूनों में बदलाव जितने मर्जी करवा लें लेकिन रद्द करवाने की बात न करें, क्योंकि इससे सरकार की बदनामी होती है।

पंजाब यूनिवर्सिटी के समाजशास्त्र विभाग के प्रमुख रहे प्रो. मनजीत सिंह ने कहा कि तीनों कृषि कानून कृषि पर हमला नहीं हैं, बल्कि पूरे फूड सैक्टर को कार्पोरेट को सौंपने की साजिश है। बाबा फरीद मैडीकल यूनिवर्सिटी के पूर्व रजिस्ट्रार डॉ. प्यारा लाल गर्ग ने कहा कि ये तीनों कानून बनाने का केंद्र सरकार को कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने भी किसान नेताओं को नोटिस से न घबराने की बात कही। 
 


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News Editor

AJIT DHANKHAR

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