क्राइम ब्रांच ने अलग-अलग केस में बचाए साढ़े 6 लाख रुपए से ज्यादा

punjabkesari.in Wednesday, Nov 23, 2022 - 07:27 PM (IST)

चंडीगढ़,(बंसल): आजकल कैश की बजाय ऑनलाइन और कार्ड पेमैंट का चलन है। लोग बैंकों से पैसे निकालने के झंझट और समय बचाने के लिए डायरैक्ट कार्ड के जरिए पेमैंट करते हैं। लोगों की जेब में अब कैश की बजाय क्रेडिट और डेबिट कार्ड मौजूद होते हैं लेकिन कार्ड पेमैंट के तरीके बढऩे के साथ-साथ कार्ड से जुड़े फ्रॉड भी बढ़ रहे हैं। पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि आजकल क्रेडिट कार्ड की बढ़ती जरूरतों के कारण लोग सुविधाओं के लिए गूगल पर चले जाते हैं और ऑनलाइन अधिकतर उपलब्ध नंबर फ्रॉड होते हैं। उन्हीं के चंगुल में फंस कर लाखों रुपए गंवा बैठते हैं।

 


उन्होंने बताया कि पहले केस में गुरुग्राम निवासी अनंत अग्रवाल को क्रेडिट कार्ड के रिवॉर्ड को कैश में बदलवाने के लिए अनजान नंबर से कॉल आई। ठगों की बातों में आकर अनंत ने क्रेडिट कार्ड से जुड़ी सभी जानकारी ठगों को उपलब्ध करवा दी, जिसके कारण ठगों ने तकरीबन 2,63,195 की धोखाधड़ी को अंजाम दिया। जैसे ही पीड़ित को ठगी का एहसास हुआ, पीड़ित ने तुरंत अपनी शिकायत साइबर हैल्पलाइन 1930 पर दी। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए पीड़ित के 82,199 रुपए बचाए और पीड़ित को वापस दिलवाए। पुलिस ने केस दर्ज कर आगे कार्रवाई शुरू कर दी है।  

 


दूसरे केस में अम्बाला में गुलशन कुमार क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़वाने के चक्कर में आ गए। अनजान कॉल पर भरोसा करने की गलती की और 75000 की धोखाधड़ी की गई। जैसे ही उपरोक्त केस में शिकायत 1930 पर दी गई तो पुलिस ने पूरी पेमैंट बचाकर पीड़ित को वापस दिलवाए। ऐसे ही एक अन्य केस में भिवानी के मनोज के साथ 48 हजार की धोखाधड़ी हुई, जहां पीड़ित को क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़ाने का लालच दिया गया था। 1930 पर शिकायत देने के बाद पुलिस ने धोखाधड़ी की सारी रकम फ्रीज की और पीड़ित को पेमैंट वापस दिलवाई।  

 

 


सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं ठग, कभी न्यूड कॉल पर ब्लैकमेल तो कभी पैसे दुगने करने का देते हैं लालच 
पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि साइबर टीम को 1930 पर एक शिकायत प्राप्त हुई। पानीपत के मोहित ने बताया कि उसने सोशल मीडिया एप्लीकेशन इंस्टाग्राम पर एक एड देखी, जहां ऑनलाइन बेटिंग का ऑफर दिया गया था। उक्त ऑफर में पैसे दुगने करने को कहा गया था, जिस पर भरोसा कर पीड़ित ने 50000 रुपए निवेश कर दिए लेकिन कुछ समय बाद जैसे ही मोहित को ठगी का एहसास हुआ, उसने तुरंत 1930 पर अपनी शिकायत दी। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए खाता फ्रीज कर पीड़ित को उसके पैसे तुरंत रिफंड करवाए। ऐसे ही एक अन्य केस में 1930 पर शिकायत प्राप्त हुई कि किसी ने जींद निवासी शिकायतकर्ता की व्हाट्सएप द्वारा अश्लील वीडियो बना ली है और उसे ब्लैकमेल करके तकरीबन 1.57 लाख की ठगी को अंजाम दिया। शिकायतकर्ता की शिकायत पर काम करते हुए पुलिस ने तुरंत 1.40 लाख रुपए बचाए और केस दर्ज कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है। पुलिस ने बताया कि ऐसे ही एक अन्य केस में साइबर हैल्पलाइन को शिकायत प्राप्त हुई कि गुरुग्राम निवासी महिला ने लोन लेने के लिए गूगल पर नंबर ढूंढा और लोन लेने लिए ठगों की बातों में आ गई। पीड़िता से प्रोसैसिंग फीस और रजिस्ट्रेशन के नाम पर तकरीबन 1.54 लाख की ठगी की गई, जिस पर शिकायत प्राप्त होते ही सारे पैसे तुरंत पीड़िता को वापस करवाए गए।  
 

 

जल्दी डिलीवरी के नाम पर ठगे 1.40 लाख, पुलिस ने बचाए 1.35 लाख 
पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि आजकल साइबर ठग नए नए तरीकों से साइबर ठगी को अंजाम दे रहे हैं। ऐसी ही एक नई मोडसऑपरेंडी में साइबर ठगों ने डिलीवरी कंपनियों के नाम पर फ्रॉड शुरू किए हैं। आजकल लोग समय की कमी होने के कारण ऑनलाइन शॉपिंग को पसंद करते हैं। जैसे ही डिलीवरी का मैसेज आता है तो लोग डिलीवरी कंपनी का नंबर गूगल पर ढूंढने की कोशिश करते हैं, जिसके कारण वो साइबर ठगी में फंस जाते हैं। साइबर हैल्पलाइन को दी गई शिकायत में सोनीपत निवासी महिला ने बताया कि उसने एक प्रोडक्ट अमेजन से मंगवाया था, जिसकी जल्दी डिलीवरी के लिए उसने गूगल पर नंबर ढूंढा और ठगों से संपर्क कर लिया। ठगों की बातों में आकर पीड़िता ने अपने फोन में एनीडैस्क एप्लीकेशन इंस्टाल कर ली और अपने फोन की सभी संवेदनशील जानकारी ठगों को दे दी। इसी का फायदा उठाते हुए ठगों ने पीड़िता के खाते से 1 लाख का फ्रॉड कर दिया। पीड़िता की शिकायत पर पुलिस ने तुरंत 95 हजार वापस दिलवाने में सफलता हासिल की। ऐसे ही एक अन्य केस में रोहतक के बलराम दांगी जल्दी कूरियर मंगवाने के चक्कर में साइबर ठगों के चंगुल में जा फंसे। जैसे ही बलराम ने अपनी जानकारी ठगों को दी, उसके साथ तकरीबन 40 हजार की ठगी की गई, जिस पर पुलिस ने तुरंत कार्रवाई कर, पीड़ित के सारे रुपए वापस दिलवाए।  
 

 

क्रेडिट कार्ड की जानकारी न करें सांझा और न ही गूगल पर ढूंढें कस्टमर केयर नंबर: अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक 
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक ओ.पी. सिंह ने बताया कि क्रेडिट कार्ड हो या डेबिट कार्ड, इन दोनों की डिटेल चुराकर ठगी होना अब आम बात हो गई है। आजकल हम कहीं भी मार्कीट में शॉपिंग करने जाते हैं या फिर ऑनलाइन कहीं पेमैंट करते हैं, इन सभी जगहों से हमारे कार्ड की डिटेल चोरी होने का खतरा हमेशा बना रहता है। इसके अलावा भी हमारे कार्ड की डिटेल आजकल साइबर ठगों के पास पहुंच जाती है। इनसे बचाव का एक ही तरीका है और वो यह है कि किसी भी कीमत पर ओ.टी.पी. और पासवर्ड किसी को न बताएं और न ही गूगल पर कस्टमर केयर का नंबर ढूंढें। कस्टमर केयर का नंबर क्रेडिट कार्ड के पीछे लिखा होता है, सिर्फ वही संपर्क करें। इसके अलावा सोशल मीडिया पर भी सतर्क रहें। कई बार आॢथक लाभ के चक्कर में साइबर ठगी हो जाती है। किसी भी जगह पैसे इनवैस्ट करने से पहले अच्छी तरह जांच-पड़ताल अवश्य करें। किसी भी प्रकार का साइबर अपराध होने की स्थिति में तुरंत साइबर हैल्पलाइन 1930 पर शिकायत दर्ज करवाएं।  
 

 

क्रेडिट व डेबिट कार्ड संबंधी अपराधों में हुआ है इजाफा, जरूरत है सतर्क रहने की 
कार्ड स्कीमिंग, कार्ड क्लोङ्क्षनग जैसे फ्रॉड अक्सर कार्ड स्वैपिंग के वक्त ही होते हैं। चालाक किस्म के दुकानदार स्वैप मशीन से अटैच सिस्टम में की-लॉगर इनस्टॉल करके रखते हैं। ऐसे में जब यूजर बिल पे करने के लिए कार्ड स्वैप करता है तो की-लॉगर में उसका पासवर्ड और कार्ड से जुड़ी जानकारी जैसे सी.वी.वी. नंबर और एक्सपायरी डेट सेव हो जाती है। इसके अलावा डेबिट कार्ड स्वाइप करने के दौरान कार्ड की मैगनेटिक स्ट्रिप पर मौजूद सारा डाटा दूसरे कम्प्यूटर या लैपटॉप में फीड हो जाता है। इसके लिए अपराधी अक्सर कार्ड मशीन में ‘स्कीमर डिवाइस’ का उपयोग करते हैं। इसके अलावा भी हैकर्स पेमैंट कार्ड की डिटेल को बल्क में खरीदते हैं और उसके द्वारा साइबर अपराध करते हैं। 
 

 

डेबिट-क्रेडिट कार्ड फ्रॉड से बचने के लिए आजमाएं ये टिप्स 
कई बार लोगों को फर्जी फोन कॉल आते हैं, सामने वाला खुद को बैंक मैनेजर बताता है, आपके अकाऊंट को सिक्योर रखने की बात करता है और बदले में आपका कार्ड पिन पूछता है। ऐसे में गलती से भी अपनी पिन डिटेल्स शेयर न करें और तुरंत फोन कॉल की रिपोर्ट करें। गलती से भी अपना डेबिट/क्रेडिट कार्ड किसी को न दें। कई लोग कार्ड के ऊपर पासवर्ड भी लिख देते हैं, जिससे चोरों का काम और आसान हो जाता है। इसके अलावा अपने बैंक से ङ्क्षलक फोन नंबर को इस्तेमाल में रखें और अपडेट करते रहें। इसके अलावा आजकल बहुत सी फिशिंग वैबसाइट आ रही हैं जो कम कीमत में सामान बेचने का दावा करती हैं। अक्सर सस्ते के चक्कर में लोग इन वैबसाइट के जरिए हो रही लूट का शिकार हो जाते हैं। होटल, पैट्रोल पंप, दुकान जैसी जगहों पर कार्ड क्लोङ्क्षनग के मामले जोर पकड़ते हैं, इसलिए सावधानी बरतें।
 


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News Editor

Ajay Chandigarh

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