अब पुलिस हिरासत के कैदियों, से टी होम व ऑब्जर्वेशन होम के बाल अपराधियों की अप्राकृतिक मौत पर भी मिल सकता है परिजनों को मुआवजा

punjabkesari.in Saturday, Jan 15, 2022 - 03:00 PM (IST)

चंडीगढ़, (अर्चना सेठी)। पुुलिस हिरासत में अप्राकृतिक मौत मरने वाले कैदियों के आश्रितों को भी हरियाणा सरकार मुआवजा दे सकती है। हरियाणा राज्य मानव अधिकार आयोग ने पुलिस हिरासत में कैदियों की अप्राकृतिक मौत पर आश्रितों को मुआवजा दिए जाने के बाबत प्रदेश सरकार से सिफारिश की है। साथ ही आयोग ने से टी होम या ऑब्जर्वेशन होम में रखे जाने वाले बाल अपराधियों को भी अप्राकृतिक मौत पर क्षतिपूर्ति राशि देने के लिए कहा है। ध्यान रहे, इससे पहले हरियाणा राज्य मानव अधिकार आयोग ने जेल में बंद कैदियों की अप्राकृतिक मौत पर आश्रितों को मुआवजा दिए जाने की सिफारिश की थी, जिसके बाद हरियाणा सरकार जेल में बंद कैदियों की आत्महत्या पर पांच लाख रुपये जबकि अप्राकृतिक मौत पर 7,50,000 रुपये देने की अधिसूचना जारी कर चुका है। सिर्फ इतना ही नहीं हरियाणा सरकार के पुलिस विभाग ने पुलिस हिरासत में अप्राकृतिक मौत मरने वाले कैदियों के परिवार को क्षतिपूर्ति राशि देने पर अपनी सहमति जता चुके हैं।

 

 

दोबारा भेजी है सिफारिश
 हरियाणा राज्य मानव अधिकार आयोग के सदस्य दीप भाटिया का कहना है कि आयोग ने कैदियों की अप्राकृतिक मौत पर परिवार के आश्रितों को मुआवजा दिए जाने की सिफारिश दोबारा भेजी है। पहली सिफारिश में सिर्फ जेल के कैदियों के आश्रितों की बात की गई थी परंतु दोबारा भेजी सिफारिश में पुलिस हिरासत के कैदी और से टी होम या ऑब्जर्वेशन होम में बंद बाल अपराधियों के आश्रितों को लेकर सिफारिश भेजी है।

 

फतेहाबाद के मामले के बाद आयोग ने किया पुनर्विचार
पुलिस हिरासत में मौत का एक मामला हाल ही में आयोग के समक्ष आया है जिसमें फतेहाबाद की गीता देवी के मामले की सुनवाई चल रही थी। मानव अधिकार आयोग की खंड पीठ जिसमें सदस्य जस्टिस के. सी पुरी व सदस्य दीप भाटिया ने पाया कि मानव अधिकार आयोग की सिफारिश पर हरियाणा सरकार द्वारा जेलों में मरने वाले कैदियों को मुआवजा देने के लिए जो नीति बनाई थी उसके तहत सिर्फ जेलों में बंद कैदियों की अप्राकृतिक मौत व आत्महत्या के मामले में उनके परिजनों को लाभ प्राप्त होने की बात कही गई थी परंतु उसमें यह स्पष्ट नहीं किया गया था कि पुलिस हिरासत में एवं बाल अपराधियों को जिन्हे अलग विशेष प्रकार के से टी होम या ऑब्जर्वेशन होम में रखा जाता है जिसे बाल सुधार गृह कहते हैं उनकी अप्राकृतिक मौत पर  अश्रीतों को  सामान रूप से मुआवजा मिलना चाहिए।  सरकार द्बारा कैदियों की अप्राकृतिक मौत पर जारी अधिसूचना में भी यह बात स्पष्ट नहीं हो सकी। ऐसे में गीता देवी की फतेहाबाद के मामले की सुनवाई के दौरान आयोग की खंडपीठ ने सरकार को इस मामले में पुनर्विचार करने को कहा है ताकि सामान रूप से लाभार्थियों को मुआवजा मिल सके। मामले में फतेहाबाद की अदालत में पेश किए जाने वाले अभियुक्त ने कोर्ट परिसर में पुलिस हिरासत से छूटकर ऊपरी मंजिल से छलांग लगा दी थी जिससे उसकी घटना स्थल पर ही मौत हो गई थी। आयोग ने सरकार से इस विषय पर रिपोर्ट मांगी थी और यह भी पूछा था कि क्या सरकारने पुलिस हिरासत में मृतक के परिजनों को मुआवजा देने के बारे में कोई नीति बनाई है। जिस पर सरकार की तरफ से हरियाणा पुलिस महानिदेशक  अपने लिखित जवाब में बताया कि सरकार को मृतक के परिवार को मुआवजा दिए जाने पर कोई एतराज नहीं है।

 

अधिसूचना की विसंगति होगी दूर
हरियाणा राज्य मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष के.सी.पुरी का कहना है कि कैदियों की अप्राकृतिक मौत के संदर्भ में जारी की गई पॉलिसी के संदर्भ में जारी अधिसूचना की विसंगतियों को दूर करने के लिए राज्य सरकार को अपनी सिफारिश को फतेहाबाद की गीता देवी के मामले में मृतक के परिवार को रुपए 7,50,000 मुआवजा देने के आदेश के साथ भेज दी है। उनका कहना है कि जेल के कैदियों के ही बराबर पुलिस हिरासत में कैद कैदी और से टी होम या ऑब्जर्वेशन होम में रखे जाने वाले बाल अपराधियों की सुरक्षा भी जरूरी है, ऐसे में उन कैदियों की अप्राकृतिक मौत पर भी नीति का निर्धारण करना जरूरी है।

 


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News Editor

Ajay Chandigarh

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