‘मेरा पानी मेरी विरासत’ के परिणाम जमीनी स्तर पर आने शुरू

punjabkesari.in Tuesday, Jun 28, 2022 - 06:57 PM (IST)

चंडीगढ़,(बंसल): हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा कोविड-19 के दौरान 2 साल पहले आरंभ की गई ‘मेरा पानी मेरी विरासत योजना’ के परिणाम जमीनी स्तर पर आने आरंभ हो गए हैं। आज मुख्यमंत्री ने पंचकूला से 7500 सूक्ष्म सिंचाई प्रदर्शनी योजनाओं का लोकार्पण किया। सूक्ष्म सिंचाई और नहरी विकास प्राधिकरण द्वारा आयोजित कार्यक्रम में सूक्ष्म सिंचाई के पांच मोबाइल वैनों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया और इसके साथ सभी जिलों से 2-2 वाहनों को आज रवानगी भी की। मुख्यमंत्री ने कहा कि जल ही जीवन है और हमें भावी पीढ़ी के लिए जल बचाकर रखना होगा। यह आज चुनौती बन गया है। उन्होंने कहा कि तीसरा विश्वयुद्ध शायद जलयुद्ध ही होगा इसलिए हमें पानी के हर बूंद का उपयोग करना होगा। कहा भी गया है कि बंूद से बंूद से घड़ा भरे और बंूद-बंूद से सागर भरता। इसी को ध्यान रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वन ड्रोप मोर क्रोप का आह्वान किया था और मुझे खुशी है कि हरियाणा ने प्रधानमंत्री के इस विजन को आगे बढ़ाया है। 
 

 

सिंचाई विधि में नए-नए उपयोग
उन्होंने कहा कि आज तकनीक के युग में सिंचाई विधि में नए-नए उपयोग शुरू हो गए। सूक्ष्म सिंचाई में टपका, फव्वारा ऐसी व्यवस्था है, जिससे हम अधिक से अधिक पानी को बचा सकते हैं और साथ ही अच्छी पैदावार ले सकते हैं। पानी के दो पक्ष हैं एक पीने का पानी और दूसरा सिंचाई के लिए पानी। पीने के पानी की तो हम बचत नहीं कर सकते। कई बार डाक्टर भी हमें अधिक पानी पीने के लिए सलाह देते हैं परंतु सिंचाई में अधिक पानी लगता है इसलिए हमें इसका उपयोग सूक्ष्म सिंचाई जैसी योजना से करना होगा। धान, कपास व गन्ना में अधिक पानी लगता है। कृषि विज्ञानी कहते हैं कि 1 किलो चावल तैयार होने में 3 हजार से अधिक लीटर पानी की जरूरत होती है। 
 

 

पंजाब व हरियाणा के किसानों ने हरित क्रांति में दिया सबसे बड़ा योगदान 
मुख्यमंत्री ने कहा कि 1960 के दशक में जब देश में खाद्यान्नों की कमी महसूस की गई थी तो उस समय हरित क्रांति का नारा दिया गया था और पंजाब व हरियाणा के किसानों ने हरित क्रांति में सबसे बड़ा योगदान दिया और देश को खाद्यान्नों में आत्मनिर्भर बनाया। उन्होंने कहा कि रासायनिक खाद्यान्नों के अधिक उपयोग व भूजल के दोहन के कारण हम खाद्यान्नों के मामलों में आत्मनिर्भर बन गए परंतु आज हमें दूसरे विकल्प की ओर जाना होगा। सूक्ष्म सिंचाई भी उस दिशा में एक कदम है। उन्होंने कहा कि पहले वर्ष में 98 हजार एकड़ में धान के स्थान पर अन्य फसले उगाई गई और इस बार 2 लाख एकड़ का लक्ष्य रखा गया है।
 

 

इजराइल के साथ जल संरक्षण के कई समझौते किए
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में लगभग 200 जल शोधन संयंत्र संचालित हैं और 50 प्रतिशत से अधिक शोधित पानी का दोबारा प्रयोग सिंचाई व अन्य कार्यों में कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने इजराइल का उदाहरण देते हुए कहा कि इजराइल विश्व का ऐसा देश है, जहां पानी की बहुत किल्लत है और पूरी खेती टपका सिंचाई से की जाती है। हरियाणा सरकार ने भी इजराइल के साथ जल संरक्षण एवं फल एवं सब्जी उत्कृष्ट केंद्र के कई समझौते किए हैं। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण में हमें इजराइल देश का अनुसरण करना चाहिए। हरियाणा देश का ऐसा राज्य है, जहां पर नहरी पानी की उपलब्धता कम है। हमारे यहां केवल यमुना ही एक नदी है, जिससे हमें पानी मिलता है। 
 

 

प्रदेश के 142 ब्लॉक में से 85 ब्लॉक डार्क जोन में: देवेंद्र सिंह
सिंचाई एवं जल साधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव देवेंद्र सिंह ने कहा कि प्रदेश के 142 ब्लॉक में से 85 ब्लॉक डार्क जोन में चले गए हैं, जहां पर पानी 100 मीटर से भी नीचे चला गया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के 35 लाख हैक्टेयर में से 11.12 प्रतिशत में ही सूक्ष्य सिंचाई होती है, जिसे बढ़ाकर 20 प्रतिशत तक ले जाना होगा। सूक्ष्य सिंचाई एवं नहरी विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डा. सतबीर सिंह कादियान ने कहा कि 1 एकड़ धान से ड्रिप सिंचाई में स्थानांतरित करके पानी बचाने से 5 व्यक्तियों के परिवार को एक महीने के लिए पीने के पानी की आपूॢत होती है। इस प्रकार हम न केवल स्थिरता लक्ष्यों को प्राप्त करेंगे बल्कि पर्याप्त पेयजल उपलब्ध करवाएंगे। मुख्यमंत्री ने मिकाडा के पोर्टल को भी जांच किया। 


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News Editor

Ajay Chandigarh

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