पंजाब के नेताओं की आरोपमुक्त करने की तीन अर्जी हुई रद्द
punjabkesari.in Saturday, Dec 03, 2022 - 09:14 PM (IST)
चंडीगढ़,(सुशील राज) : पंजाब भाजपा के बड़े नेताओं पर आपराधिक मामले में आरोपमुक्त करने संबंधी तीन अर्जियों को चीफ ज्यूडीशियल मैजिस्ट्रेट डा. अमन इंद्र सिंह की कोर्ट ने रद्द कर दिया है। आरोपियों में तीक्ष्ण सूद, अरविंद मित्तल, मदन मोहन मित्तल, विजय सांपला, अरुण नारंग, मास्टर मोहन लाल, मनोरंजन कालिया, डा. बलदेव चावला, अश्वनी कुमार, तरुण चुघ, सुरजीत कुमार ज्याणी, के.डी. भंडारी, अरुणेश शकर, सुभाष शर्मा, मलविंदर सिंह कंग और जीवन गुप्ता शामिल हैं। वहीं बीते 21 अगस्त, 2020 को सैक्टर-17 पुलिस स्टेशन में धारा 188 (सरकारी अधिकारी द्वारा जारी आदेशों की उल्लंघना करना) के तहत इनके खिलाफ केस दर्ज किया गया था।
पुलिस केस के मुताबिक आरोपियों समेत कई अन्यों ने सी.आर.पी.सी. की धारा 144 के तहत जारी आदेशों की उल्लंघना की थी। पंजाब सरकारी की नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए आरोपी अपने कार्यकर्ताओं के साथ पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री की कोठी की तरफ मार्च निकाल रहे थे। ऐसे में इनके खिलाफ धारा 188 के तहत केस दर्ज हुआ था।
दर्ज केस को गलत बताया था
आरोपियों ने आरोपमुक्त किए जाने के पीछे अर्जी में कहा था कि धारा 188 से जुड़े अपराध के तहत कोई एफ.आई.आर. दर्ज नहीं की जा सकती। इसके पीछे कहा गया कि की धारा 195 कहती है कि कोई कोर्ट धारा 172 से लेकर 188 तक किसी अपराध पर संज्ञान नहीं लेगी जब तक किसी पब्लिक सर्वेंट की शिकायत नहीं होती। इसके पीछे कुछ जजमेंट का हवाला दिया गया था।
कोर्ट ने 188 में दर्ज केस की स्थिति स्पष्ट की
कोर्ट ने कहा कि आमतौर पर जब कोई केस सी.आर.पी.सी. के तहत होता है तो पुलिस बिना वारंट के व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकती है। वहीं इसके लिए एफ.आई.आर. करनी जरूरी होती है। वहीं केस की जांच पूरी होने पर पुलिस न धारा 173 के तहत चालान पेश करने के लिए सक्षम होती है। इस पर कोर्ट द्वारा संज्ञान लिया जाता है। हालांकि धारा 195 कहती है कि कोई भी कोर्ट धारा 172 से लेकर 188 तक किसी अपराध पर संज्ञान नहीं लेगी जब तक किसी पब्लिक अफसर की शिकायत न हो। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या धारा 195 संज्ञेय अपराधों में जांच को लेकर सी.आर.पी.सी. के प्रावधानों ज्यादा महत्त्वपूर्ण हो जाती है? कोर्ट ने कहा कि यह स्पष्ट है कि यह दो प्रावधान प्रत्यक्ष रूप से एक द्वंद्व पैदा करते हैं। ऐसे में क्या इन दोनों का मिलाप करा समाधान निकाला जा सकता है?
मौजूदा केस में डिस्ट्रिक्ट मैजिस्ट्रेट की शिकायत पर हुआ था
कोर्ट ने कहा कि मौजूदा केस में पुलिस चालान के साथ कोर्ट को एक औपचारिक शिकायत भी दी गई थी। तत्कालीन डिस्ट्रिक्ट मैजिस्ट्रेट मनदीप बराड़ ने 25 फरवरी, 2021 को धारा 195 के तहत इन आरोपियों पर धारा 188 के तहत केस चलाने के लिए यह शिकायत दी गई थी। वहीं कोर्ट ने कहा कि मौजूदा केस में धारा 195 की भी पालना की गई है। ऐसे में आरोपियों की आरोपमुक्त वाली अर्जियों को रद्द किया जाता है।