‘मेयर चुनाव : नामांकन का अंतिम दिन आज बगावत के डर से भाजपा ने नहीं खोले पत्ते’

punjabkesari.in Monday, Jan 04, 2021 - 12:05 AM (IST)

चंडीगढ़ (राय) : मेयर चुनाव के लिए सत्ता पक्ष भाजपा से कौन मेयर पद का आधिकारिक उम्मीदवार होगा, इस सस्पैंस पर से सोमवार यानी नामांकन की अंतिम तिथि वाले दिन से चंद घंटे पहले ही पर्दा उठ पाएगा। मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के तीनों पदों के लिए उम्मीदवारों के नामांकन भरे जाने की अंतिम तिथि 4 जनवरी निर्धारित की गई थी। तीन पदों के उम्मीदवारों के साथ उनके पहले और दूसरे प्रोपोजर भी फॉर्म भरने के लिए साथ में होंगे। सुबह 11 से शाम 5 बजे तक का समय रखा गया है। जहां कांग्रेस ने इन पदों के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा बहुत पहले ही कर दी थी, वहीं निगम सत्ताधारी भाजपा ने बगावत के डर से अभी तक अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है। भाजपा पिछले वर्ष की ही भांति अंतिम दिन ही अपने पत्ते खोलेगी।

 


दिनभर रही चर्चा
आज भी दिनभर चर्चा होती रही कि दिल्ली से किसी न किसी का नाम फाइनल होने की सूचना आएगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। संभावना है कि हाईकमान के बंद लिफाफे में उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला हो जाएगा। उम्मीदवारों के नामों के ऐलान से पहले पार्टी के सीनियर नेता अपने पसंदीदा उम्मीदवारों के लिए जोड़तोड़ के अभियान में जुटे रहे।


थप्पड़कांड का गूंज आज तक कायम
सितम्बर में पार्टी के एक नेता ने निगम कमिश्नर के पी.ए. के थप्पड़ मार दिया था। इसके बाद समझौता होने  पर अध्यक्ष ने मांफी मांगने की बात से साफ इंकार कर दिया था। उस घटना में उनकी पार्टी के कार्यकत्र्ताओं ने निगम के भीतर प्रदर्शन किया था तो निगम कर्मी एकजुट होकर काम काज ठप कर गए थे। घटना को लेकर अफसरशाही से लेकर निगमकर्मी के बीच कड़वी यादें आज भी ताजा हैं। अक्तूबर में अध्यक्ष की अगुआई में पार्षदों ने अपनी ही मेयर की वुर्चअल बैठक का बहिष्कार कर दिया। इसमें सदन की मर्यादा तो भंग हुई ही बल्कि अनुशासनहीनता सामने आने के साथ निगम के इतिहास में काले दिन के तर्ज पर दर्ज हो गया।


निगम कमिश्नर से हुई थी तकरार
पिछले वर्ष जनवरी में भाजपा अध्यक्ष पद की कुर्सी संभालने के एक महीने के बाद सूद की फरवरी में निगम सदन बैठक में पानी के वाटर टैरिफ के रिवाइज टेबल एजैंडा लाए जाने पर निगम कमिश्नर के साथ खासी नोक-झोंक हुई। नौबत यहां तक पहुंच गई कि निवर्तमान मेयर राजबाला मलिक को सदन की कार्यवाही को रोकने के लिए हाथ तक जोडऩे पड़ गए थे।


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ashwani

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