हरियाणा पुलिस ने नेत्रहीन मां को 10 साल से लापता बेटे से मिलवाया

punjabkesari.in Tuesday, Oct 18, 2022 - 07:18 PM (IST)

चंडीगढ़,(बंसल): स्टेट क्राइम ब्रांच हरियाणा ने दीवाली पर एक नेत्रहीन मां को उसके 10 साल से लापता बेटे से मिलवाकर उसे तोहफा दिया है। पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि आकाश (19) यमुनानगर से 2013 से गुमशुदा हुआ था। मुकद्दमे के मानवीय पहलू को समझते हुए स्टेट क्राइम ब्रांच चीफ, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक ओ.पी. सिंह ने केस की जिम्मेदारी पंचकूला एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट में तैनात ए.एस.आई. राजेश कुमार को सौंपी। इसके अलावा केस को प्राथमिकता से काम करने के आदेश दिए गए।

 


बेटे के इंतजार में पिता भी चल बसे
पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि उक्त मुकद्दमे की फाइल पर काम करते हुए ए.एस.आई. राजेश कुमार ने गुमशुदा आकाश के बारे में बारीक से बारीक जानकारी प्राप्त की। नेत्रहीन मां ने बताया कि मैं देख नहीं सकती हूं पर अपने बच्चे को महसूस कर सकती हूं। बेटे के पिता का भी उसके इंतजार में देहांत हो गया था। मैं नहीं मानती कि मेरे बेटे को अब कोई ढूंढ सकता है। स्टेट क्राइम ब्रांच ने दिन रात एक कर मात्र 1 महीने में ही 10 साल से गुमशुदा बेटे को लखनऊ से ढूंढ निकाला।
 

 

कमर पर था चोट का निशान, पोस्टर लगाकर लखनऊ में ढूंढा, नाम बदल कर रह रहा था
पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि गुमशुदा लड़के की मां से बातचीत के दौरान पता चला कि उसकी कमर पर नीचे एक चोट का निशान है और थोड़ा मानसिक परेशान भी है। इसी आधार पर उसे पहचाना जा सकता है। इसी क्लू पर पुलिस ने काम करना शुरू किया। ए.एस.आई. राजेश कुमार ने बच्चे के पुराने फोटो के आधार पर पोस्टर तैयार कर मुख्य रेलवे स्टेशन जैसे  दिल्ली, जयपुर, कोलकाता, मुम्बई, कानपुर, शिमला, लखनऊ पर लगवाए गए। इसी दौरान लखनऊ के बाल देखरेख संगठन के अधीक्षक अनिल द्वारा राजेश कुमार से संपर्क साधा गया जिसमें बताया गया कि इस हुलिये और निशान का लड़का हमारे यहां पर रह रहा है और यह बच्चा हमारे पास देवरिया से आया है। इस लड़के को गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर चाय बेचते हुए चाइल्ड लाइन ने रैस्क्यू किया था लेकिन ये लड़का नाम मनीष बताता है। इसके अलावा अधीक्षक ने बताया कि ये लड़का अपने पिता का नाम नाथीराम बताता है और इसे नहीं पता ये कहां का रहने वाला है। इसी आधार पर राजेश कुमार द्वारा फोटो के निशान से लड़के की कमर पर बने निशान का मिलान किया गया जो कि एक जैसे ही पाए गए। इसके अलावा लड़के ने बताया था कि उसकी मां देख नहीं सकती थी, बस इतना ही याद है। इन बातों से पुष्टि होने के बाद परिवार में गुमशुदा लड़के की मां और उसके भाई विकास को लेकर उपरोक्त चाइल्ड केयर इंस्टीच्यूट में पहुंचे जहां बच्चे ने अच्छी से अपने परिवार को पहचाना। सभी कार्रवाई के बाद सी.डब्ल्यू.सी. लखनऊ के आदेश से 19 वर्षीया गुमशुदा आकाश उर्फ मनीष को परिवार के सुपुर्द किया गया।
 

 

अतिरिक्त महानिदेशक, क्राइम ने दिए थे दोबारा फाइल खोलने के आदेश, 2015 में हो गई थी बंद
गुमशुदा लड़के के पिता नाथीराम वासी बाडी माजरा यमुनानगर ने 01.05.2013 को थाने में शिकायत दी थी कि उसका 10 साल का बेटा घर से बिना बताए कहीं चला गया। मेरे बेटे का नाम आकाश है। मैंने उसे अपने स्तर खूब ढूंढा लेकिन उसका कुछ पता नहीं चला। पीड़ित की दरख्वास्त पर शिकायत नंबर.103 दिनांक 12.5.2013 धारा 365 आई.पी.सी. थाना सदर यमुनानगर दर्ज करवाई गई। जिला पुलिस ने अपने तौर पर बच्चे को बहुत तलाश किया पर तलाश नहीं कर पाने के कारण इस केस में अनट्रेस रिपोर्ट 2013 के अंत में लिख दी गई जिसके कारण फाइल को बंद कर दिया गया। इसी दौरान गुमशुदा के पिता का भी देहांत हो गया। परिवार के प्रति संवेदनशीलता दिखाते हुए अतिरिक्त महानिदेशक, क्राइम ने इस फाइल पर दोबारा काम करने के आदेश दिए गए। जिस पर पूरे केस को शुरू से समझते हुए स्टेट क्राइम ब्रांच ने बच्चे को 10 साल बाद ढूंढ निकाला।  
 

 

सितम्बर माह में स्टेट क्राइम ब्रांच ने ढूंढे है 57 नाबालिग बच्चे, 83 बाल भिखारी किए रैस्क्यू
पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि स्टेट क्राइम ब्रांच की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट ने सितम्बर माह में ही 57 बच्चे बचाने में सफलता हासिल की है जिनमें 33 नाबालिग लड़के व 24 नाबालिग लड़कियां थी। इसके अलावा करीबन इसी माह में 22 पुरुष व 32 महिलाओं को उनके परिवार से मिलवाया है। वहीं 83 बाल भिखारियों को और 49 बाल मजदूरों को रैस्क्यू किया गया है।
 


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News Editor

Ajay Chandigarh

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