गोलमोल : 70 बच्चे 2 साल से नहीं आ रहे आंगनबाड़ी, कहां जा रहा राशन?

punjabkesari.in Sunday, Sep 22, 2019 - 09:41 AM (IST)

चंडीगढ़(वैभव) : शहर में सोशल वैल्फेयर, वूमैन एंड चाइल्ड डेवलैपमैंट विभाग से लापरवाही करने का कारनामा सामने आया है, जिसमें आंगनबाडिय़ों में पढऩे वाले बच्चों के नाम उनके छोडऩे के बाद भी रजिस्टर से नहीं काटे गए। 

बता दें कि यहां 6 वर्ष तक के बच्चे आते हैं। यहां उन्हेंं खाने-पीने के अलावा थोड़ी बहुत शिक्षा दी जाती है। लेकिन बच्चों में कई ऐसे भी हैं जो आंगनबाड़ी छोड़े कई वर्ष बीत चुके हैं। लेकिन नाम नहीं काटा गया।सूत्रों के अनुसार आंगनबाडिय़ों में आने वाले 70 बच्चे ऐसे हैं जिनका नाम रजिस्टर में है और ये 2 साल से आंगनबाड़ी नहीं आते हैं। नाम काटे जाने से एक बात तो साफ है कि सोशल वैल्फेयर, वूमैन एंड चाइल्ड डिवैल्पमैंट विभाग द्वारा किए गए सभी दावे बिल्कुल खोखले हैं।

आंगनबाड़ी जाने वाले बच्चों की पूरी डिटेल होती है रजिस्टर में :
गौरतलब है कि जो भी बच्चा आंगनबाड़ी जाता है उसका बाकायदा नाम रजिस्टर में लिखा जाता है। इसकी जानकारी आला अधिकारियों को दी जाती है। अब सवाल है कि अगर बच्चों ने आंगनबाड़ी छोड़ दिया है तो उन्हें मिलने वाली सुविधा का लाभ कौन ले रहा है। यहां बच्चों को विभिन्न प्रकार की न्यूट्रीशियन, कैल्सियम, प्रोटीन आदि से भरपूर सामान खाने के लिए दिया जाता हैं। 

विभाग के पास आंगनबाडिय़ों की डिटेल नहीं है। यह शर्मनाक की बात है। विभाग की लापरवाही है कि अगर बच्चे ने आंगनबाड़ी छोड़ दिया है तो उसका नाम क्यों नहीं काटा गया। आखिर इस संबधी जानकारी आंगनबाड़ी में पढ़ाने वाली टीचर ने विभाग को क्यों नहीं दी। बच्चों के नाम न काटे जाने पर विभाग और उन आंगनबाडिय़ों पर कई प्रकार के सवाल खड़े हो रहे हैं।

शहर में हैं 450 आंगनबाड़ी केंद्र :
बता दें कि शहर में 450 आंगबाड़ी चल रही हैं जो सोशल वैल्फेयर, वूमैन एंड चाइल्ड डेवलैपमैंट विभाग के आधीन हैं। इनमें से ज्यादातर आंगनबाडिय़ों की हालत दयनीय है। टीचर्स द्वारा समय पर न आना, बच्चों पर ध्यान न देना, बुनियादी सुविधाओं का अभाव जैसे कई खामियां यहां हैं। जिस पर न तो वहां की टीचर्स ध्यान दे रही है, न टीमें और न ही स्वंय विभाग। 

सूत्रों के अनुसार एक समय था, जब अभिभावक अपने बच्चों के लिए आंगनबाडिय़ों को सेफ मानते थे। उन्हें लगता था कि वहां रहकर बच्चे का ध्यान रखा जाएगा। लेकिन ऐसा कुछ भी आंगनबाडिय़ों में नहीं हो रहा है। इसका सबूत है कि पिछले दो वर्षों में शहर की आंगबाडिय़ों का स्तर इतना नीचे गिर चुका है कि अभिभावक अपने बच्चों को आंगनबाडिय़ों में छोडऩे परहेज करने लग गए हैं।

विभाग की टीमें भी हैं सवालों के घेरे में :
सोशल वैल्फेयर, वूमैन एंड चाइल्ड डेवलैपमैंट विभाग द्वारा आंगबाडिय़ों की देखरेख के लिए टीमें बनाई गई हैं। ये टीमें नियमित आंगनबाडिय़ों का दौरा करती हैं तो आखिर क्यों इस बारे में पता नहीं। अब सवाल है कि टीम के सदस्यों को जो जिम्मेवारी दी गई है वह उन पर खरा क्यों नहीं उतर रहे हैं।


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Priyanka rana

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